इन चुनावों में कांग्रेस की ‘गारंटियों’ पर मोदी का चेहरा इतना भारी पड़ा कि कांग्रेस को मप्र व छग में उसका अति आत्मविश्वास भाजपा का ‘अंडर करंट’ झेल ही नहीं पाया। राजस्थान में हर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन का रिवाज नजर नहीं आ रही सत्ता विरोधी लहर के बावजूद कायम रहा। सत्ता के इस सेमिफाइनल में जीत की गूंज अगले आम चुनाव तक सुनाई दे सकती है।
मध्यप्रदेश में पिछली बार सत्ता में आने के बावजूद विधायकों के टूट जाने के बाद सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस मतदाताओं की सहानुभूति और शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ ‘एन्टी इनकम्बेंसी’ पर भरोसा करती रही। इस अति आत्मविश्वास पर भाजपा की अंतिम समय पर हुई वापसी ने उसके सिर पर पिछली बार से बड़ी जीत का सेहरा बांध दिया।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के ‘ओवर कॉन्फीडेंस’ को मोदी का मारक प्रचार और ‘महादेव एप’ से डूबा। राजस्थान में हार के बाद खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने माना कि सरकारी योजनाएं व गांरटियां आम लोगों तक पहुंचाने में नाकाम रहे। जानकार मानते हैं कि गहलोत-पायलट की खींचतान ने ‘गहलोत बनाम मोदी’ की जंग में जयमाला भाजपा को पहना दी ।
ये मुद्दे चल गए, इनका नहीं रहा दम
तीनों राज्यों में मोदी ने आक्रामक प्रचार के दौरान सनातम धर्म, तुष्टिकरण व जातिवाद के मुद्दों को प्रमुखता से रखा तो ‘मोदी की गारंटी’ को असली बताकर कांग्रेस की गारंटियों वाले हथियार की धार कुंद कर दी। लोगों ने मोदी का गारंटियों पर ज्यादा एतबार किया और कांग्रेस की गारंटियां धरी रह गई। राम मंदिर निर्माण व सनातम धर्म के मुद्दों से कई जगह सियासी ध्रुवीकरण भी हुआ। कांग्रेस ने कर्मचारियों को साधने के लिए इन राज्यों में भी ‘ओपीएस’ को मुद्दा बनाया, भाजपा प्रत्याशियों को मिले पोस्टल वोट से अंदाज लगता है कि यह मुद्दा चला नहीं।
मजबूत होगा ‘ब्रांड मोदी’
तीनों राज्यों में स्थानीय क्षत्रप को आगे करने की बजाय भाजपा ने चुनाव मोदी के चेहरे पर लड़ा था। माना जा रहा था कि स्थानीय क्षत्रपों की उम्मदों पर तुषारापात करने वाले इस फैसले से कुछ फर्क पड़ेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और भाजपा मोदी के नाम पर चुनाव जीतने में सफल रही। मोदी-अमित शाह की जोड़ी के माइक्रो मैनेजमेंट ने ‘मोदी है तो मुमकिन’ का नारा चरितार्थ करते हुए अपने चौंकाने वाले फैसलों को सही साबित कर दिखाया। हिमाचल व कर्नाटक में हार के बाद मोदी मैजिक कम होने की आशंकाएं भी निर्मूल साबित हुई।
नाकाम रही ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ की नीति
विशेषज्ञों के अनुसार कांग्रेस की ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ की नीति पर सनातन भारी पड़ता नजर आया। सनातन के नाम पर भाजपा हिन्दुत्व का कार्ड खेलने में कामयाब हो गई। आम चुनाव में भी भाजपा के सनातन के मुद्दे से कांग्रेस को चुनौती मिल सकती है।