प्रयागराज. दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजन महाकुंभ सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं है। यह वैश्विक शोध का विषय भी बन चुका है। देश और दुनिया के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय और संस्थान इस बार महाकुंभ के विभिन्न पहलुओं पर शोध करेंगे। इनमें हार्वर्ड विश्वविद्यालय, स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, एम्स, आइआइएम, आइआइटी, जेएनयू, डीयू और लखनऊ विश्वविद्यालय जैसे संस्थान शामिल हैं। ये आयोजन के प्रबंधन, सामाजिक-आर्थिक प्रभाव, पर्यावरणीय चुनौतियों, पर्यटन और डिजिटल प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर अध्ययन करेंगे।महाकुंभ पर शोध के लिए यूपी सरकार ने शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों से प्रस्ताव मांगे थे। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रतिभागियों के लिए भोजन और पेयजल के साथ शहरी अवसंरचना प्रबंधन पर, लखनऊ विश्वविद्यालय तीर्थ और भूगोल पर, आइआइएम इंदौर पर्यटन, मीडिया की भूमिका और सोशल मीडिया प्रबंधन पर, जेएनयू सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभाव और आर्थिक परिणामों पर और दिल्ली विश्वविद्यालय दार्शनिक और राष्ट्रीय एकता के पहलुओं पर शोध करेगा।
बिल-मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन भी शामिल बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन महाकुंभ के पर्यावरणीय दस्तावेजीकरण पर अध्ययन करेगा। आइआइटी मद्रास जल और अपशिष्ट प्रबंधन का आकलन करेगा, जबकि संस्कृति फाउंडेशन हैदराबाद पर्यावरण संरक्षण के प्रति तीर्थयात्रियों की संवेदनशीलता पर फोकस करेगा। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय (बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ) महाकुंभ के आर्थिक और सामाजिक प्रभाव का अध्ययन करेगा।
यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर महाकुंभ को 2017 में यूनेस्को ने अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दिया था। यह खगोलशास्त्र, ज्योतिष, आध्यात्मिकता और सामाजिक-सांस्कृतिक परंपराओं का संगम है। महाकुंभ के लिए प्रयागराज में अस्थायी नगरी का निर्माण किया जा रहा है। यह आधुनिक नगर नियोजन, बुनियादी ढांचे और प्रबंधन का उत्कृष्ट उदाहरण है।