नई दिल्ली

सजा: भारतीय मूल के इंजीनियर को अमरीकी कोर्ट ने सुनाई उम्र कैद, अपराध इतना घिनौना कि जज बोले- तुम्हें कभी पैरोल भी नहीं मिलेगी

इस 55 वर्षीय इंजीनियर ने नाटकीय ढंग से कुबूल किया है कि उसने वर्ष 2019 में कैलिफोर्निया में रहने के दौरान अपनी पत्नी और तीन बच्चों की हत्या कर दी। उसके अपराध की अमरीका में काफी चर्चा हो रही है। जज ने उम्रकैद की सजा सुनाते हुए फैसले में यह भी लिखा कि उसे कभी पैरोल नहीं मिलेगी।
 
 

नई दिल्लीNov 12, 2021 / 10:48 pm

Ashutosh Pathak

नई दिल्ली।
अमरीका में भारतीय मूल के एक इंजीनियर को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। इस इंजीनियर ने जो अपराध किया है, उसकी काफी चर्चा हो रही है।

दरअसल, भारतीय मूल के अमरीकी शंकर नागप्पा हंगुड ने नाटकीय ढंग से कबूल किया है कि उसने अपनी पत्नी और तीन बच्चों की साल 2019 में हत्या कर दी थी। कोर्ट ने शंकर नागप्पा को उम्रकैद की सजा सुनाई है और उसे पैरोल की भी इजाजत नहीं दी गई है। जांचकर्ताओं ने बताया है कि 55 साल के हंगुड ने कबूल किया है कि कैलिफोर्निया के एक अपार्टमेंट में उसने अपनी पत्नी और तीन बच्चों को मौत के घाट उतार दिया।
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अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि शंकर नागप्पा ने यह भी कबूल किया है कि वह अपने परिवार वालों की आर्थिक तौर से देखभाल कर पाने में असमर्थ था। हंगुड उस वक्त चर्चा में आया था जब उसने पुलिस के सामने खुद जाकर कबूल किया था कि उसने चार लोगों की हत्या की है।
हंगुड ने रोजविले से करीब 320 किलोमीटर दूर माउंट साश्ता पुलिस डिपार्टमेंट में जाकर इन हत्याओं की बात कबूली थी। जिसके बाद इसे लेकर मीडिया में भी काफी कुछ कहा गया था। रोजविले पुलिस ने बाद में हंगुड की पत्नी और उसके दो बेटियों की लाश जंक्शन रोड स्थित अपार्टमेंट से बरामद की थी। उसके तीसरे बेटे की लाश माउंट साश्ता पुलिस स्टेशन के बाहर खड़ी एक कार के अंदर से बरामद की गई थी।
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पुलिस ने बताया कि उस वक्त उन्हें आशंका थी कि हंगुड ने करीब एक हफ्ते तक किये गये अपराध के दौरान यह सारी हत्याएं की थीं। उसने अपनी पत्नी और दो बच्चों को तीन दिनों के अंदर मारा था। आरोप है कि हंगुड ने अपनी पत्नी और बेटी और सबसे छोटे बेटे को 7 अक्टूबर को मारा था। इस तीनों की हत्या अपार्टमेंट में की गई थी। इसके बाद उसने अपने सबसे बड़े बेटे की हत्या की थी। इस बच्चे की हत्या रोजविले और माउंट सास्ता के बीच किया गया था। जहां उसने 13 अक्टूबर को पुलिस के सामने सरेंडर भी किया था।
मृतकों की पहचान 46 साल की ज्योति शंकर, 20 साल के वरून शंकर, 16 साल की गौरी हंगुड और 13 साल के निश्चल हंगुड के तौर पर हुई है। इन हत्याओं के बाद हंगुड को गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि, साल 2019 में उसे दोषी नहीं पाया गया था लेकिन अगले महीने उसने अपनी याचिका बदल दी। उसके बाद उसे इन हत्याओं का दोषी पाया गया और उम्रकैद की सजा सुनाई गई।

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