नई दिल्ली

आंदोलन से निकली जेएलकेएम ने बिगाड़े समीकरण

-जयराम ‘टाइगर’ के चलते डुमरी में मंत्री बेबी देवी फंसी कड़ी टक्कर में
-हाल में बनी जेएलकेएम सर्वाधिक 74 सीटों पर लड़ रही चुनाव

नई दिल्लीNov 16, 2024 / 11:06 am

Shadab Ahmed

शादाब अहमद
धनबाद (झारखंड). युवाओं को रोजगार, भर्ती परीक्षा और क्षेत्रीय भाषा के आंदोलनों के दम पर जयराम महतो ‘टाइगर’ की झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) ने इंडिया ब्लॉक और एनडीए की नींद खराब कर रखी है। हालांकि सियासी खिलाडिय़ों के सामने जेएलकेएम कितना टिक सकेगा, यह नतीजों से ही पता चलेगा। बहरहाल, 30 साल की आयु के महतो की रैलियों और सभाओं में युवाओं की भीड़ उमडऩे से इस चुनाव में एक नई क्षेत्रीय पार्टी का उदय जरूर होता दिख रहा है। महतो खुद दो सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जिनमें से गिरिडीह जिले की डूमरी सीट पर झारखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री बेबी देवी को वह कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
दरअसल, झारखंड में आदिवासियों के बाद सर्वाधिक कुर्मी (महतो) समुदाय की आबादी करीब 22 फीसदी बताई जाती है। साथ ही विधानसभा की 81 में से करीब 30 सीटों पर महतो समुदाय को निर्णायक बताया जाता है। ऐसे में धनबाद में चुनावी माहौल तलाशते समय कई लोगों ने जेएलकेएम के प्रमुख जयराम महतो के नाम और काम की चर्चा की। इसके चलते मैं धनबाद से गिरिडीह जिले के डूमरी कस्बे में पहुंच गया। जहां से खुद जयराम महतो चुनाव लड़ रहे हैं। यहां जेएलकेएम के झंडे-बैनरों को देखकर जयराम की दमदार उपस्थिति का अंदाजा लग गया। हाइवे पर स्थित मेडिकल स्टोर चलाने वाले पीयूष मिश्रा कहने लगे कि ‘टाइगर’ का माहौल है। इस बार टक्कर कैबिनेट मंत्री बेबी देवी और टाइगर में ही होगी। भाजपा ने यह सीट सहयोगी दल आजसू को दी है, लेकिन उसका प्रचार भी नहीं है। आगे देखो क्या होता है? जयराम के साथ युवाओं की फौज है। इससे आगे तरनारी गांव में 25 साल का दरमेश महतो ने साफ कहा कि हमारा टाइगर जीतेगा। पिछली बार हमने जेएमएम का समर्थन किया था। नौकरियों की भर्ती परीक्षाओं में घालमेल हुआ है, जिसके खिलाफ जयराम ने आवाज उठाई है उसके हाथ मजबूत करेंगे तो विधानसभा में हमारी आवाज गूंजेंगी। वहीं बुजुर्ग रामे मूर्मू कहने लगे कि बेबी देवी के पति जगरनाथ महतो दमदार नेता थे। उनके निधन के बाद बेबी को हमने चुनाव जिता दिया, जिन्होंने काम भी किया है, लेकिन इस बार देखो क्या होता है?

झारखंड में हमेशा से क्षेत्रीय दलों का झुरमुट

दरअसल, झारखंड में हमेशा से राष्ट्रीय दलों के साथ क्षेत्रीय दलों का झुरमुट रहा है। जहां पिछले चुनाव तक जेएमएम व आजसू के अलावा बाबूलाल मरांडी की जेवीएम (पी) की दमदारी उपस्थिति दिखती थी। जेवीएम (पी) का भाजपा में विलय हो गया, वहीं जेएमएम का कांग्रेस और आजसू का भाजपा से गठबंधन हो गया। जबकि इस बार जेएलकेएम मैदान में कूद गई और 76 उम्मीदवार उतार दिए। हालांकि दो उम्मीदवारों ने इंडिया ब्लॉक को समर्थन कर दिया। खुद जयराम गिरिडीह की डूमरी और बोकारो की बेरमो सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

जयराम महतो कैसे बने ‘टाइगर’

2022 में भोजपुरी, मगही और अंगिका जैसी झारखंड से बाहर की मानी जाने वाली भाषाओं को 11 जिलों में राज्य स्तरीय परीक्षाओं के लिए क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में शामिल करने के विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ, जिसका नेतृत्व जयराम ने किया। उन्होंने क्षेत्रीय भाषा को बढ़ावा और झारखंड के लोगों को झारखंड में नौकरियां मिलने का मुद्दा उठा कर झारखंडी भाषा खातियां संघर्ष समिति (जेबीकेएसएस) के तहत आंदोलन किए। प्रशासनिक अधिकारियों के सामने आक्रमक अंदाज में बातचीत करने से वे युवाओं के चहेते हो गए और उनके समर्थक उन्हें ‘टाइगर’ बुलाने लगे।

लोकसभा में दे चुके हैं कड़ी टक्कर

लोकसभा चुनाव में गिरिडीह सीट से जयराम खुद चुनाव लड़े और करीब 3.5 लाख वोट हासिल किए। वहीं डूमरी सीट पर 97 हजार वोट लेकर लीड हासिल की। वहीं उनकी पार्टी के 8 उम्मीदवारों ने लोकसभा चुनाव लड़ा और करीब 8.2 लाख से ज़्यादा वोट हासिल किए।

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