सूत्रों के अनुसार पिछले तीन दशक से दिल्ली व देश के कुछ अन्य राज्यों में विस्थापित हुए कश्मीरी पंडितों को विधानसभा में प्रतिनिधित्व देने के लिए परिसीमन आयोग #Delimitation Commission की सिफारिश पर गम्भीरता से विचार किया जा रहा है। सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता वाले परिसीमन आयोग ने गत मई में सौंपी अपनी रिपोर्ट में ‘विस्थापितों’ के लिए दो सीटें आरक्षित रखने की सिफारिश की थी। इसके अनुरूप केंद्र जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक-2019 में एक और संशोधन कर दो कश्मीरी पंडितों को पुडुचेरी की तर्ज पर विधानसभा में मनोनीत करने का फैसला कर सकती है। पिछले साल इसमें पहला संशोधन कर जम्मू-कश्मीर कैडर के केंद्रीय अधिकारियों की सेवाएं केंद्र शासित प्रदेशों के अधीन लाई गई थी। हालांकि विधानसभा सीटों के परिसीमन को सुप्रीम कोर्ट #SupremeCourt में चुनौती दी गई है और इस पर अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा है।
पहले लम्बी लिस्ट थी, आज नाममात्र के नेता
जम्मू-कश्मीर की राजनीति में कभी कश्मीरी पंडितों की अहम भूमिका थी। माखनलाल फौतेदार जैसे नेताओं ने केंद्र की राजनीति में भी बड़ी पैठ बनाई तो 1990 तक राज्य की विभिन्न सरकारों में कश्मीरी पंडितों को पूरा प्रतिनिधित्व मिलता रहा। स्व. प्यारेलाल हुंडू, खेमलता वाखलू, डीपी धर, अमिताभ मट्टू जैसे कई नाम गिनाए जा सकते हैं, लेकिन आज भाजपा नेता रविंद्र रैना जैसे कुछ नाम ही सामने आते हैं। साल 2002 के चुनाव में रमन मट्टू निर्दलीय जीतकर विधानसभा पहुंचे और कांग्रेस के नेतृत्व वाली पीडीपी सरकार में मंत्री बने। यह संभवतः राज्य की सत्ता में कश्मीरी पंडितों का आखिरी प्रतिनिधित्व था। कश्मीरी पंडित भी विधानसभा में प्रतिनिधित्व की मांग उठाते रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर की राजनीति में कभी कश्मीरी पंडितों की अहम भूमिका थी। माखनलाल फौतेदार जैसे नेताओं ने केंद्र की राजनीति में भी बड़ी पैठ बनाई तो 1990 तक राज्य की विभिन्न सरकारों में कश्मीरी पंडितों को पूरा प्रतिनिधित्व मिलता रहा। स्व. प्यारेलाल हुंडू, खेमलता वाखलू, डीपी धर, अमिताभ मट्टू जैसे कई नाम गिनाए जा सकते हैं, लेकिन आज भाजपा नेता रविंद्र रैना जैसे कुछ नाम ही सामने आते हैं। साल 2002 के चुनाव में रमन मट्टू निर्दलीय जीतकर विधानसभा पहुंचे और कांग्रेस के नेतृत्व वाली पीडीपी सरकार में मंत्री बने। यह संभवतः राज्य की सत्ता में कश्मीरी पंडितों का आखिरी प्रतिनिधित्व था। कश्मीरी पंडित भी विधानसभा में प्रतिनिधित्व की मांग उठाते रहे हैं।
घाटी में अब 6514 पंडित
राज्यसभा में प्रस्तुत एक जवाब के अनुसार कश्मीर घाटी में अभी 6514 पंडित निवास कर रहे हैं। इनमें 2639 कुलगाम व 1204 बडगाम में है। सबसे कम 19 कुपवाड़ा व 66 बांदीपोरा में रह गए हैं। श्रीनगर में इनकी संख्या 455 व अनंतनाग में 808 बताई गई है।
राज्यसभा में प्रस्तुत एक जवाब के अनुसार कश्मीर घाटी में अभी 6514 पंडित निवास कर रहे हैं। इनमें 2639 कुलगाम व 1204 बडगाम में है। सबसे कम 19 कुपवाड़ा व 66 बांदीपोरा में रह गए हैं। श्रीनगर में इनकी संख्या 455 व अनंतनाग में 808 बताई गई है।