जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, “मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना कराने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। हम लोग उन्हें धन्यवाद देते हैं। आम अवाम को इच्छा भी उन्हें धन्यवाद देने की थी। जातीय जनगणना होने से सबसे ज्यादा लाभ गरीबों को होगा। कमजोर तबका नीतीश कुमार की ओर बहुत उम्मीद से देख रहा है। इसीलिए पूरे बिहार में आभार यात्रा के जरिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया जा रहा है।”
वहीं बिहार सरकार के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने कहा, “जातीय जनगणना कराने से कमजोर वर्ग तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचेगा। कमजोर वर्ग की वास्तविक संख्या के आधार पर विकास कार्यक्रमों को बनाने में मदद मिलेगी। समाज में हाशिए पर जो वर्ग है उसका विकास हो सकेगा। बीजेपी समेत सभी विपक्षी दल इस मुद्दे पर बिहार सरकार के साथ हैं।”
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खाद्य आपूर्ति मंत्री लेसी सिंह ने कहा, “हम मुख्यमंत्री को आभार देने के लिए यह यात्रा निकाले हैं क्योंकि उन्होंने जातीय जनगणना कराने का बड़ा निर्णय लिया है वह भी अपने खर्चे पर। इससे सभी को फायदा होगा। यह गणना बिहार के लिए बहुत जरूरी था। पूरे देश में जातिगत जनगणना होनी चाहिए ताकि पता चल सके कि किस जाति वर्ग की क्या स्थिति है।” बता दें, बिहार में जातीय जनगणना होने जा रही है। औपचारिकताएं पूरी हो चुकी है। 1 जून को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई थी। जिसमें जातीय जनगणना कराने पर सहमति बनी थी। इसके अगले दिन यानी 2 जून को बिहार कैबिनेट की बैठक हुई। इस बैठक में बिहार में जातीय जनगणना की स्वीकृति दे दी गई। अब बिहार सरकार ने जातीय जनगणना के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को जिम्मा सौंपा है। जिलों में जिलाधिकारी गणना के नोडल अधिकारी होंगे। बिहार सरकार को जातीय जनगणना कराने में 9 महीने लगेंगे और इसके लिए 500 करोड़ रुपये खर्च होंगे। फरवरी 2023 तक जाति आधारित गणना पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
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