International Conference: छह सालों में विश्व के 100 शहरों को दिव्यांगों के लिए समावेशी व योग्य बनाया जाए : निधि अशोक गोयल
डिसेबल व्यक्तियों की आवाज को मजबूती देने के लिए सिविल 20 वर्किंग ग्रुप की तरफ से सोमवार को नई दिल्ली के एक होटल में डिसएबिलिटी, इक्विटी और जस्टिस पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सिविल 20, जी20 का एक आधिकारिक सहभागिता समूह है। इस सम्मेलन में पांच सौ से अधिक लोग व डिसेबिलिटी के अधिकारों के लिए कार्य कर रहे विभिन्न प्रतिनिधि ऑनलाइन रूप से शामिल हुए। इसके साथ ही सम्मेलन में 9 देशों से विशेषज्ञ व्यक्तिगत रूप से और 15 से अधिक देशों के ऑनलाइन रूप से शामिल हुए।
डिसेबिलिटी, इक्विटी और जस्टिस पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में डिसेबिलिटी के समावेशन की दिशा में कुछ और कदम उठाने की प्रतिबद्धता पर विशेषज्ञों ने जोर दिया और दिव्यांगों के अधिकारों को लेकर भी विस्तार से चर्चा की।
डिसेबिलिटी, इक्विटी और जस्टिस पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में डिसेबिलिटी के समावेशन की दिशा में कुछ और कदम उठाने की प्रतिबद्धता पर विशेषज्ञों ने जोर दिया और दिव्यांगों के अधिकारों को लेकर भी विस्तार से चर्चा की। राइजिंग प्लेम की फाउंडर व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर व डिसेबिलिटी, इक्विटी व जस्टिस वर्किंग ग्रुप की कॉर्डिनेटर और सिविल 20 इंडिया की स्टीयरिंग कमेटी की सदस्य अशोक गोयल ने इस सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए उद्घाटन सत्र में डिसेबिलिटी, इक्विटी और जस्टिस वर्किंग ग्रुप की यात्रा पर एक प्रस्तुति दी।
वहीं, सम्मेलन के एक दिवसीय सत्र में इकोनॉमी और कम्युनिटी को अधिक समावेशी कैसे बनाया जाए, शिक्षा, कौशल और जीविका कमाने वाली पीढ़ी के दिव्यांग व्यक्तियों की सहायता कर सकती है और सस्टेनेबल डेवलपमेंट तक उनकी आसान पहुंच कैसे महत्वपूर्ण है, इन महत्वपूर्ण विषयों पर उद्घाटन सत्र में चर्चा हुई। वहीं, सम्मेलन में प्रतिनिधियों ने पर्यावरण में बदलाव के कारण दिव्यांगता, जलवायु आधारित न्याय और आपदा से जुड़े जोखिम में कमी लाने और जी20 के अन्य सभी प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर अपने विचार साझा किए।
सम्मेलन में विशेषज्ञों ने प्रस्तुत किए अपने विचार वहीं, सम्मेलन में निधि ने दावा करते हुए कहा कि शोध से पता चलता है कि एक्सक्लूजन की लागत किसी देश के जीडीपी के 7 फीसदी के बराबर तक हो सकती है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि दिव्यांग व्यक्तियों को ध्यान में रख कर ही आर्थिक विकास सुनिश्चित किया जाए, जो न्यायोचित, लचीला, समावेशी और टिकाऊ हो। उन्होंने कहा कि प्रयासों और सामुदायिक प्रतिक्रियाओं का यह परिणाम हुआ कि सिविल 20 नेताओं ने डिसेबिलिटी को मुख्यधारा में लाने का निर्णय लिया और डिसएबल व्यक्तियों की आवाज को मजबूत करने के लिए इस स्टैंड-अलोन समूह के निर्माण की घोषणा की। डिसएबिलिटी अधिकारों पर इस तरह से समर्पित हो कर ध्यान देने से दुनिया भर के दिव्यांग लोगों पर गहरा और सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इस सम्मेलन में यूएन रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शोम्बी शार्प, सिविल20 के शेरपा व भारत के पूर्व राजदूत विजय नांबियार, डिसएबल लोगों के अधिकारिता विभाग के सचिव राजेश अग्रवाल, राइजिंग प्लेम की फाउंडर व एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर व डिसएबिलिटी, इक्विटी व जस्टिस वर्किंग ग्रुप की कॉर्डिनेटर और सिविल20 इंडिया की स्टीयरिंग कमेटी की सदस्य निधि अशोख गोयल, द ललित सूरी हॉस्पिटेलिटी ग्रुप (केशव सूरी फाउंडेशन) के डायवर्सिटी, इक्विटी एंड इंक्लूजन के हेड अक्षय त्यागी समेत कई अन्य प्रतिनिधि व विशेषज्ञ सम्मेलन में शामिल हुए।
12 वर्षों से अधिक समय से दिव्यांगों के अधिकारियों के लिए निधि कर रही हैं कार्य निधि 12 वर्षों से अधिक समय से दिव्यांगों के अधिकारों के लिए कार्य कर रही हैं। वह आंखों से दिव्यांग हैं। उन्होंने बीते एक दशक से ज्यादा समय से दिव्यांगों के अधिकारियों के लिए कई ट्रेनिंग सेशन, अभियान, रिसर्च समेत कई कार्य किए हैं। दिव्यांगों के अधिकारों के लिए कार्य कर रही निधि को कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी आमंत्रित किया गया है, जहां पर उन्होंने अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। वहीं, सोमवार को आयोजित सम्मेलन में दिव्यांगों कलाकारों के समूह ‘वी आर वन’ की सांस्कृतिक प्रस्तुति भी प्रस्तुत की। निधि द्वारा स्थापित राइजिंग फ्लेम एक राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त गैर-लाभकारी संगठन है, जो भारत में स्थित है और डिसएबल लोगों, विशेष रूप से दिव्यांग महिलाओं और युवाओं के मानवाधिकारों की पहचान, उनके संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए काम कर रहा है। इस संगठन का उद्देश्य एक ऐसी समावेशी दुनिया का निर्माण करना है जिसमें भिन्नता होने के बाद भी शरीर, मन और आवाज का गरिमामय विकास हो, भेदभाव, दुर्व्यवहार और हिंसा से मुक्त जीवन हो और सभी समान अवसरों और सुविधाओं का आनंद उठा सकें।
डिसएबल लोगों के लिए पॉलिसी पेपर तैयार करके जी20 लीडर्स तक पहुंचाएं, यह है सम्मेलन का उद्देश्य : निधि अशोक गोयल निधि अशोक गोयल ने पत्रिका से बातचीत में कहा सिविल सोसाइटी की आवाज हमें पॉलिसी मेकर्स तक पहुंचानी है और हमारा सिविल 20 की जो प्रक्रिया है कि सभी वर्किंग ग्रुप को एक-एक पॉलिसी व पॉलिसी पेपर तैयार करनी होती है और वो इकट्ठा जी20 लीडर्स को भेजा जाता है। यह हमारे पास बहुत सुनहरा मौका है कि डिसेबिलिटी को लेकर एक अलग से पॉलिसी पेपर्स बनाने के लिए हमें समय मिलेगा। इस सम्मेलन के माध्यम से पॉलिसी पेपर्स को तैयार करते हुए यह उद्देश्य रहा है कि लोगों की आवाज को हम इसमें ड्राफ्ट करके आगे लीडर्स तक पहुंचाएं।
‘असिस्टिव टेक्नोलॉजी है आवश्यक, इसके बिना नहीं चलेगी दुनिया’ डिसेबिलिटी के अधिकारों को लेकर और उनके लिए विश्व भर में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के साथ ही राज्य स्तर पर ट्रांसपोर्ट की बेहतर सुविधाएं किस तरीके से प्रदान करनी चाहिए और इस विषय पर दिव्यांगों को जो दिक्कतें आ रही हैं, वह कैसे दूर की जाए, इन सवालों पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हम ये चाहते हैं भारत समेत पूरे विश्व के देशों के साथ सारे जी20 देश एक कमिटमेंट दें दें कि अगले छह सालों में 100 शहरों को दिव्यांगों के लिए पूरी तरह से ट्रांसपोर्ट, इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, मोबिलिटी, हेल्थ, सर्विसेज व अन्य के मद्देनजर समावेशी और योग्य बनाएं। दिव्यांगों के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हम कैसे सोचते हैं वो हम सीमित नहीं रख सकते हैं, इस वजह से बेहतर व योग्य डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर उनके लिए आवश्यक है। हम चाहते हैं कि सभी देश यह कमिटमेंट अवश्य दें कि 100 शहरों के सभी इलाके व ग्रामीण इलाकों को अगले छह सालों में पूरी तरह से दिव्यांगों के प्रति सुलभ व योग्य जरूर बनाएं। वहीं, उन्होंने दिव्यांगों के लिए असिस्टिव टेक्नोलॉजी पर बोलते हुए कहा कि यह बेहद जरूरी है, इसके बिना दुनिया ही नहीं चलेगी।
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