गर्ग ने शुक्रवार को यहां वरिष्ठ नागरिकों के लिए उपलब्ध देखभाल के विविध मॉडल और गुणवत्ता देखभाल के आवश्यक सिद्धांतों के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से कार्यरत स्वंयसेवी संगठन एसोसिएशन ऑफ सीनियर लिविंग इंडिया (एएसएलआई) की ओर से आयोजित चौथे एजिंग फेस्ट के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि सांस्कृतिक परंपराओं में भी घर पर उम्र बढ़ने को आम तौर पर स्वीकार और प्रोत्साहित किया जाता है, लेकिन इसके साथ ही संस्थागत देखभाल कुछ हद तक जरूरी है। जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा, इसकी और अधिक आवश्यकता महसूस होगी।
केंद्रीय सचिव ने कहा कि यदि देश साल 2024 में विकसित भारत के सपने को देखे तो बुजुर्गों का अनुपात वर्तमान की तुलना में कहीं अधिक होगा। ऐसे में भविष्य की तैयारी और भावी जरूरतों के लिए अभी से तैयारी करने का समय आ गया है। सरकार वरिष्ठ नागरिकों से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए आगे बढ़ रही है। सरकार का ध्यान विशेष रूप से उन लोगों पर है, जो आर्थिक रूप से स्थिर नहीं हैं। करीब 360 जिलों में 640 से ज्यादा वृद्धाश्रम संचालित किए जा रहे हैं। बुजुर्गों की देखभाल करने वालों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। अगले तीन वर्षों में ऐसे एक लाख लोगों के तैयार होने की उम्मीद है।
नीति आयोग के सदस्य डॉ. विनोद पॉल ने कहा कि देश में पचास प्रतिशत बुजुर्ग महिलाएं हैं। उनकी विशेष जरूरतें, देखभाल, गोपनीयता, मानसिक स्वास्थ्य व विशेष परिस्थितियां हैं। बुजुर्गों की देखभाल के क्षेत्र में काम करने वालों को इस तथ्य पर ध्यान देते हुए समुचित कार्ययोजना बनाकर काम करना चाहिए। एएसएलआई के अध्यक्ष आदर्श नरहरि ने अतिथियों का स्वागत करते हुए एजिंग फेस्ट के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस दौरान वृद्ध आबादी की जरूरतों और इन्हें पूरा करने की तैयारी पर मंथन किया जाएगा।