बता दें, असम सरकार ने यह समारोह वर्ष 1971 के युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों के सम्मान में आयोजित किया। रक्षा मंत्री असम के गुवाहाटी में 1971 के युद्ध के वीरों के अभिनंदन पर सभा को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि देश की सेना भी चाहती है कि जम्मू कश्मीर से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) कानून जल्द से जल्द हटे। AFSPA जुलाई 1990 में कश्मीर घाटी में और अगस्त 2000 में जम्मू क्षेत्र में उग्रवाद को रोकने के लिए लगाया गया था।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार देश से आतंकवाद को उखाड़ फेंकने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा, “भारत यह संदेश देने में सफल रहा है कि आतंकवाद से सख्ती से निपटा जाएगा। अगर देश को बाहर से निशाना बनाया जाता है तो हम सीमा पार करने से नहीं हिचकिचाएंगे।” उन्होंने कहा, “भारत पश्चिमी सीमा पर जिस तनाव से निपट रहा है, वैसा पूर्वी सीमा पर नहीं है, क्योंकि बांग्लादेश एक मित्र देश है। घुसपैठ की समस्या लगभग समाप्त हो गई है. सीमा पर (पूर्वी सीमा) अब शांति और स्थिरता है।”
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तो वहीं पूर्वोत्तर के विभिन्न हिस्सों से AFSPA को हाल ही में वापस लिये जाने पर रक्षा मंत्री ने कहा, “जब भी किसी स्थान की स्थिति में सुधार हुआ, सरकार ने ऐसा किया। राजनाथ ने कहा कि मणिपुर और नागालैंड के 15 पुलिस स्टेशनों से AFSPA हटा दिया गया। यह अपने आप में बहुत मायने रखता है। यह इस क्षेत्र में स्थायी शांति और स्थिरता का परिणाम है। कोई छोटी बात नहीं है कि पूर्वोत्तर के राज्यों में पिछले 3-4 साल से AFSPA हटाने का काम किया जा रहा है। हाल ही में असम के 23 जिलों से AFSPA को पूरी तरह से हटा दिया गया था।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ये भ्रम है कि सेना चाहती है कि AFSPA हमेशा लागू रहे। उन्होंने कहा कि AFSPA प्रभावी रहने के लिए हालात जिम्मेदार हैं, न कि सेना। आपको बता दें, 31 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की थी कि केंद्र ने दशकों बाद नागालैंड, मणिपुर और असम में अशांत क्षेत्रों को अफस्पा के दायरे में कम करने का फैसला किया है।
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