नई दिल्ली। महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनावों में पराजय के बाद कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में हार के कारणों के साथ आगे की रणनीति पर करीब साढ़े चार घंटे मंथन चला। इसमें यह बात सामने आई कि आगे कांग्रेस को अगर चुनाव जीतना है तो अपना पुराना ढर्रा छोडऩा होगा। नेताओं की जवाबदेही तय होने के साथ उनका अनुशासन में रहना जरूरी है। समय पर सख्त निर्णय लेकर संगठन की खामियों को दूर कर आगे बढऩा होगा। सीडब्ल्यूसी ने पूरे चुनावी प्रक्रिया को संदिग्ध बताते हुए इंडिया ब्लॉक के सहयोगी दलों के साथ कांग्रेस के जन आंदोलन शुरू करने का निर्णय किया है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में सीडब्ल्यूसी बैठक में हार के कारणों पर लंबा चिंतन किया गया। खरगे ने कहा कि 2024 के लोक सभा चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस पार्टी ने नए जोश-खरोश के साथ वापसी की थी। लेकिन उसके बाद 3 राज्यों के चुनावी नतीजे हमारी उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहे। इनसे सबक लेते हुए संगठन के स्तर पर अपनी सभी कमजोरियों और खामियों को दुरुस्त करने की जरूरत है। ये नतीजे हमारे लिए संदेश है।
हमें वैचारिक रुख स्पष्ट करना चाहिए-राहुल
राहुल गांधी ने कहा कि कहा कि ये एक वैचारिक लड़ाई है और हमें अपनी पार्टी की विचारधारा के बारे में स्पष्ट होना चाहिए। भाजपा जाति जनगणना से डरी हुई है और हम पिछड़ों और गरीबों के लिए खड़े हैं। इसलिए वे हम पर हमला कर रहे हैं. जब अल्पसंख्यकों पर हमला हो रहा हो तो हमें अपना वैचारिक रुख स्पष्ट करना चाहिए।गांधी जी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के सौ साल पूरे होने पर रैली
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बताया कि कांग्रेस चुनाव प्रक्रिया में सुधार के लिए जन आंदोलन शुरू करने जा रही है। इसके तहत अलग-अलग राज्यों में रैलियां होंगी। 26 व 27 दिसंबर को बैलगांव में कांग्रेस की विशेष सीडब्ल्यूसी बैठक होगी। 100 साल 1924 में कर्नाटक के बैलगांव में महात्मा गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष चुना गया था। इसलिए 28 दिसंबर को कांग्रेस स्थापना दिवस पर बैलगांव में कांग्रेस की बड़ी सभा भी होगी।खरगे ने सुनाई हारने पर खरी-खरी
-जब एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी का सिलसिला बंद नहीं करेंगे, तो अपने विरोधियों को राजनीतिक शिकस्त कैसे दे सकेंगे? -अनुशासन में रहकर सबको ये सोचने की दरकार है कि कांग्रेस पार्टी की जीत में ही हम सबकी जीत है और हार में हम सबकी हार है।उत्साह भरने का संदेश
-हार से निराश या घबराने की कोई वजह नहीं है। एकता और अनुशासन की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है। -भारत जोड़ो यात्रा, भारत जोड़ो न्याय यात्रा और लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान जिन मुद्दों को पार्टी ने उठाया था, वे आज भी देश के आम लोगों की रोजमर्रा की चिंताओं के मुद्दे हैं। -बेरोजग़ारी, महंगाई, आर्थिक असमानता, इस देश के ज्वलंत मुद्दे हैं -जाति जनगणना, संविधान, सामाजिक न्याय और सौहार्द मुद्दों पर कायम
चुनाव जीतने के लिए….
-केवल माहौल पक्ष में होना जीत की गारंटी नहीं। माहौल को नतीजों में बदलना सीखना होगा -संगठन को ऊपर से नीचे तक मजबूत करना होगा -मतदाता सूची बनाने से लेकर वोट की गिनती तक रात दिन सजग, सचेत और सावधान रहना होगा। -राज्यों के अलग-अलग मुद्दों को समय रहते बारीकी से समझकर उसके इर्द-गिर्द चुनावी रणनीति बनानी होगी
-चुनावी तैयारी कम से कम 1 साल पहले शुरू कर देनी चाहिए। पहला काम मतदाता सूचियों की जांच करनी चाहिए, ताकि हमारे पक्ष वालों के वोट हर हालत में सूची में बने रहें।