Delhi: मातृ्त्व स्वास्थ्य सेवा के लिए देश के 1500 अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों को मिलेगा प्रशिक्षण, बच्चे के सुरक्षित जन्म को मिलेगा बढ़ावा
देश में महिलाओं के प्रसव के समय बच्चों को जन्म देते वक्त देखभाल करने के उद्देश्य से 1500 अस्पतालों के स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए सोमवार को नई दिल्ली में नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड ऑफ हॉस्पिटल एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (एनएबीएच) के साथ फेडरेशन ऑफ ऑब्सटेट्रीशियंस गाइनोकोलॉजिकल सोसाइटीज ऑफ इंडिया (एफओजीएसआई) ने साझेदारी (एमओयू) की है। एनएबीएच, भारत सरकार का वालंटियर संगठन है जो स्वास्थ्य सेवाओं प्रदान करने वालों को मान्तता देता है।
मातृत्व स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता सुधार के लिए अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण देने के लिए एनएबीएच (NABH) ने एफओजीएसआई (FOGSI) के साथ की साझेदारी।
एनएबीएच (NABH) यह भारत सरकार के क्वॉलिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (QCI) का एक सांविधिक निकाय है। इस साझेदारी की बदौलत मातृत्व के अस्पतालों व नर्सिंग होम में बच्चे के जन्म के समय महिलाओं को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं की दिशा में क्वॉलिटी कंट्रोल को सुनिश्चित किया जाएगा। इसका लक्ष्य मातृत्व मृत्यु दर में कटौती करना भी है। यह साझेदारी स्थायी विकास के लक्ष्य (एसडीजी) की तर्ज पर भारत में बच्चों के सुरक्षित जन्म को बढ़ावा देने के लिए की गई। इस एमओयू के तहत, अस्पतालों और नर्सिंग होम में मिलने वाली मातृत्व स्वास्थ्य सुविधाओं का आकलन किया जाएगा। इससे बच्चे के जन्म को सुरक्षित बनाया जा सकेगा।
केंद्र व राज्य सरकार के अस्पतालों के जुड़ने की जताई उम्मीद इस साझेदारी के जरिए ‘एक राष्ट्र एक मानक’ मातृ्त्व सेवा के लिए सुनिश्चित किया जाएगा। जहां मैटरनिटी सर्विस प्रोवाइडर्स (एमएसपी) का मूल्यांकन एनएबीएच और एफओजीएसआइ द्वारा संयुक्त रूप से कार्य किया जाएगा। एनएबीएच के सीईओ डॉ अतुल मोहन कोचर ने कहा कि इस साझेदारी से एक वर्ष में 1500 निजी अस्पतालों व नर्सिंग होम में स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। एनएबीएच की तरफ से एफओजीएसआई द्वारा दी गई ट्रेनिंग को 30 से 60 दिनों के अंदर आंकलन किया जाएगा। इसके बाद यह प्रक्रिया लगातार आने वाले वर्षों में दोहराई जाएगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में इस कार्यक्रम से कई केंद्र व राज्य सरकार के अस्पताल भी जुड़ेंगे।
मेटरनिटी हेल्थकेयर के स्टैर्डर्ड में सुधार की है जरूरत एनएबीएच के सीईओ डॉ अतुल मोहन कोचर ने यह भी कहा कि भारत में मातृत्व स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता में सुधार आज के समय की जरूरत है। दुनिया में डिलिवरी के समय होने वाली महिलाओं की मौत के आंकड़ों में बढ़ोतरी वाले प्रमुख देशों में से एक भारत है। हमारा पूरी तरह से यह मानना है कि देश में संपूर्ण रूप से स्वास्थ्य सुविधाओं को सुधारने के लिए प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की देखभाल के स्तर को ऊपर उठाने की काफी जरूरत है। देशभर में मातृत्व स्वास्थ्य के पारितंत्र को मजबूत करने की दिशा में एफओजीएसआइ के साथ किया गया यह सहयोग एक महत्वपूर्ण कदम है।
मातृत्व स्वास्थ्य सेवा का एक मानक देश में अपनाया जाए एफओजीएसआई की डॉ अध्यक्ष डॉ. एस. शांताकुमारी ने कहा कि देश में अभी तक मातृत्व स्वास्थ्य सेवा के लिए एक मानक को फॉलो नहीं किया जाता है। हमारी कोशिश कि हमारे संगठन द्वारा तैयार की गई मान्यता कार्यक्रम को इस साझेदारी की बदौलत देश भर में अपनाया जाए। वर्ष 2013 से संगठन यह कार्यक्रम संचालित कर रहा है। इस कार्यक्रम के जरिए गर्भावस्था, प्रसव के दौरान और प्रसद के बाद महिलाओं की देखभाल के लिए मान्यता कार्यक्रम के तहत 16 मानक तैयार किए हैं। यह 16 मानक विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों के तहत तैयार किए गए हैं। अब तक 1,540 अस्पतालों में 12,800 स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया है। जिसकी बदौलत 5 लाख 49 हजार डिलिवरी की गई।
प्रसव के दौरान महिलाओं की मौतों की संख्या में कटौती करने में मिलेगी सहायता एफओजीएसआई की डॉ अध्यक्ष डॉ. एस. शांताकुमारी ने कहा कि भारत में प्रसव के दौरान होने वाली महिलाओं की मौत की संख्या में कटौती करने और एसडीजी के स्वास्थ्य संबंधी लक्ष्यों क हासिल करने के लिए स्वास्थ्य प्रणाली में क्वॉलिटी कंट्रोल के मानकों में काफी क्षमता है। इसके बावजूद भारत में डिलिवरी के दौरन महिलाओं की मौत के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं, जो जच्चा-बच्चा की देखभाल के क्षेत्र में सुधार की जरूरत की ओर इशारा करते हैं। 2017 से 2019 के दौरान मौजूदा एसआरएस डेटा के अनुसार भारत मैटरनल मोर्टेलिटी रेशियो (एमएमआर) सुधार के साथ एक लाख पर 103 पर आ गया था। 2011 से 13 के दौरान एमएमआर 167 था। इससे स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार का पता चलता है, पर अभी हमें इस दिशा में बहुत दूर जाना है। चूंकि करीब 50 फीसदी महिलाओं की डिलिवरी प्राइवेट अस्पतालों में होती है, इसलिए ऑब्स्ट्रेटिक समुदाय की ओर से क्लिनिकल मानकों को अपनाने की बेहद आवश्यकता है। हम एनएबीएच के साथ साझेदारी का स्वागत करते हैं, जिससे भारत में महिलाओं के लिए परिणामों एवं स्वास्थ्य में सुधार का भरोसा मिलेगा।
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