नई दिल्ली

पार्टी में इन्वाइट न करना दोस्तों को पड़ा भारी, महिला ने मुकदमा करके वसूले 72 लाख रुपये!

सहकर्मियों ने महिला के सामने ही पार्टी का प्लान बनाया और उसे इनवाइट नहीं किया। ये बाच महिला को चुभ गई और उसने इस बात को कोर्ट तक खींच दिया। महिला ये केस जीत गई, जिसके बाद उसे अब 72 लाख का मुआवज़ा मिलेगा।

नई दिल्लीMay 28, 2022 / 06:37 pm

Archana Keshri

पार्टी में इन्वाइट न करना दोस्तों को पड़ा भारी, महिला ने मुकदमा करके वसूले 72 लाख रुपये!

ऑफिस में जब सभी सहकर्मी एक साथ काम करते हैं तो उसे करने में मजा तो आता ही हैं और साथ ही साथ काम भी जल्दी हो जाता है। मगर कभी आपने ऐसा अनुभव किया है कि आप ऑफिस में काम करते हों और आपके सारे सहकर्मी किसी दिन पार्टी पर चले जाएं लेकिन आपको साथ न ले जाएं, ये बात आपको कैसी लगेगी? शायद ये बात आपको भी बुरी लगे। ऐसा ही एक मामला एक महिला के साथ भी हुआ, जिसके बाद उसने जो कदम उठाया उससे वो सुर्खियों में आ गई। महिला ने रोने-गाने या फिर किसी को ये दुखड़ा सुनाने की बजाए सीधे अपनने सहकर्मियों के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा ठोक दिया। अब कोर्ट ने महिला के हक में फैसला सुनाया है और उसे मुआवजे में 72 लाख रुपये हर्जाना देने का ऐलान किया है।
ये मामला ब्रिटेन का है, जहां 51 साल की रीता लेहर नाम की महिला के साथ ये घटना घटी। रीता लहर पूर्वी लंदन के एस्पर्स कसीनो में कैशियर के तौर पर काम करती थीं। वैसे तो रीता के साथ यूं तो कुछ भी बुरा नहीं था लेकिन जब उसके सहकर्मियों ने उसके सामने ही पार्टी का प्लान बनाया और उसे इनवाइट तक नहीं किया तो महिला को ये बात चुभ गई। वह अकेली शख्स थी जिसे बुलाया नहीं गया था। इसने उन्हें अहसास हुआ कि उन्हें अलग कर दिया गया है।
इसके बाद रीता ने इस बात को कोर्ट तक खींचा। रीता ने कैसीनो के खिलाफ ट्रिब्यूनल में शिकायत की थी। उन्होंने कहा कि सभी कलीग ने लास इगुआनासो में पार्टी की थी, लेकिन इसके लिए सिर्फ उन्हें इन्वाइट नहीं किया गया। ट्रिब्यूनल के फैसले के मुताबिक, रीता को पार्टी में इसलिए नहीं बुलाया गया था क्योंकि उन्होंने एक दूसरे स्टाफ के खिलाफ पहले भेदभाव की शिकायत की थी। उन्होंने कंपनी के खिलाफ उत्पीड़न, उम्र और रेस की वजप से भेदभाव की शिकायत की थी।
दरअसल, रीता ब्लैक एफ्रिकन हैं और उन्हें जब सहकर्मियों ने अलग-थलग महसूस कराया तो उनका दावा था कि ये सिर्फ और सिर्फ उनकी उम्र और नस्ल की वजह से किया गया है। साल 2011 से वे एस्पर्स कसीनो में काम कर रही थीं। 22 साल का एक्सपीरियंस भी नस्लीय भेदभाव को खत्म नहीं कर पाया। उनके साथ कई ऐसे सहकर्मियों को प्रमोशन मिल गए, जो मिली-जुली या एफ्रिकन नस्ल के नहीं थे। काले होने की वजह से उनके साथ भेदभाव हुआ। उन्हें या तो नज़रअंदाज़ किया गया या फिर रिजेक्शन का सामना करना पड़ा।

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तो हीं 2018 में उन्हें तनाव के चलते काम से भी हटा दिया गया था। 2021 में जब ववो काम पर वापस आई तो उन्हें महसूस हुआ कि उनके सहकर्मियों द्वारा उनकी उपेक्षा की जा रही है। और शायद इसी वजह से उन्हें किसी ने पार्टी में नहीं बुलाया क्योंकि वो ऐसे व्यक्ति से मेलजोल नहीं रखना चालते थे जिसने भेदभाव की शिकायत की थी। जांच पैनल ने कहा कि ऐसे में जब उसे नहीं बुलाया गया था तो उसके सामने इस बारे में चर्चा करना बहुत ही रूखा व्यवहार था।
सहकर्मियों द्वारा किए गए ऐसे व्यवहार को कोर्ट ने भेदभाव माना और कहा, “किसी भी कर्मचारी को वर्कप्लेस पर इस तरह अलग-थलग करने से उसे लोगों के साथ घुलने-मिलनेका मौका नहीं मिला, खास तौर पर अगर किसी सामाजिक अवसर पर ऐसा किया गया हों।” कोर्ट ने रीता लेहर को परिस्थिति का शिकार मानते हुए कसीनो को उन्हें भावनात्मक चोट पहुंचाने के लिए मुआवजे के तौर पर 74,113.65 पाउंडॉ यानी की भारतीया मुद्रा में 72 लाख रुपए देने का आदेश दिया।

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