साथ ही उनका ये भी कहना है कि ‘अब फिल्में भी वो लोग लिखते हैं जो अंग्रेजी में सोचते हैं। ऐसे में फिल्मों का जनता तक पहुंचना मुश्किल है’। सुभाष घई का कहना है कि ‘पहले फिल्मों में हिंदी भाषा का इस्तेमाल ज्यादा हुआ करता था, जो बात को लोगों के दिलों तक पहुंचा था, लेकिन अब ज्यादा ध्यान इंग्लिश डायलॉग्स पर दिया जाता है, जिससे लोग कनेक्ट नहीं कर पाते’।
हाल में अपने एक इंटरव्यू के दौरान सुभाष घई ने बात करते हुए कहा कि ‘बॉलीवुड फिल्मों में ये लोग भगवान और फैमिली की बात करते हैं, लेकिन कनेक्ट कहा है?’ उन्होंने कहा ‘हम तेजी से वेस्टर्न कल्चर अपना रहे हैं। सोशल मीडिया के जरिए दुनिया को जानना अच्छी बता है, लेकिन जब आप भारत के लिए फिल्म बना रहे हैं तो आप एक विदेशी की तरह नहीं सोच सकते’।
साथ ही घई आगे कहते हैं कि ‘विदेशी कहानियां यहां काम नहीं करेंगी। हां… नई तकनीकों को अपनाओं, लेकिन डीएनए और भावना भारत के लोगों से जुड़ी होनी चाहिए’। इंडस्ट्री में आ रहे नए एक्टर्स को लेकर सुभाष घई का कहना है कि ‘सलमान, शाहरुख, आमिर ये लोग काम और मेहनत किया करते थे, लेकिन आज की पीढ़ी बिग ब्रांड बनती जा रही है’।
उन्होंने आगे कहा कि ’90 के दशक के एक्टर्स कहानी को समझते थे। फिर उस पर काम और मेहनत किया करते थे। चाहे वो शाहरुख, सलमान या आमिर हो। ये स्टार्स काम करने पर विश्वास रखते है। उनको पता है कि पैसा तो खुद ही पीछे आएगा, लेकिन आज की पीढ़ी पहले पैसा चाहती है। उन्हें अपनी ब्रांडिंग और फीस की परवाह है’।
हाल में अपने एक इंटरव्यू के दौरान सुभाष घई ने बात करते हुए कहा कि ‘बॉलीवुड फिल्मों में ये लोग भगवान और फैमिली की बात करते हैं, लेकिन कनेक्ट कहा है?’ उन्होंने कहा ‘हम तेजी से वेस्टर्न कल्चर अपना रहे हैं। सोशल मीडिया के जरिए दुनिया को जानना अच्छी बता है, लेकिन जब आप भारत के लिए फिल्म बना रहे हैं तो आप एक विदेशी की तरह नहीं सोच सकते’।
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साथ ही घई आगे कहते हैं कि ‘विदेशी कहानियां यहां काम नहीं करेंगी। हां… नई तकनीकों को अपनाओं, लेकिन डीएनए और भावना भारत के लोगों से जुड़ी होनी चाहिए’। इंडस्ट्री में आ रहे नए एक्टर्स को लेकर सुभाष घई का कहना है कि ‘सलमान, शाहरुख, आमिर ये लोग काम और मेहनत किया करते थे, लेकिन आज की पीढ़ी बिग ब्रांड बनती जा रही है’।
उन्होंने आगे कहा कि ’90 के दशक के एक्टर्स कहानी को समझते थे। फिर उस पर काम और मेहनत किया करते थे। चाहे वो शाहरुख, सलमान या आमिर हो। ये स्टार्स काम करने पर विश्वास रखते है। उनको पता है कि पैसा तो खुद ही पीछे आएगा, लेकिन आज की पीढ़ी पहले पैसा चाहती है। उन्हें अपनी ब्रांडिंग और फीस की परवाह है’।
साथ ही सुभाष घई ने आगे कहा कि ‘उन्हें लगता है कि वो दो चार फिल्में करके बिग ब्रांड बन चुके हैं’। घई का कहना है कि ‘वो लोग साबुन तेल वाले लोग, जो अपनी शूटिंग छोड़ कर टीवी ऐड्स करने के लिए ज्यादा उत्साहित रहते हैं। वो दिन बीत गए जब एक्टर्स को अगर कोई चैलेंजिंग सीन करना होता था तो वो रातभर सो नहीं पाते थे, लेकिन आज के एक्टर्स ऐड्स के लिए फिल्म बीच में छोड़कर भाग जाते हैं। वो शूट के बीच से जाते हैं और फिर एड शूट करके वापस आते हैं’।
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