बिरला ने यह बातें संविधान सदन के ऐतिहासिक केन्द्रीय कक्ष में आयोजित ‘पंचायत से पार्लियामेंट 2.0’ कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय महिला आयोग और जनजातीय कार्य मंत्रालय के सहयोग से लोक सभा सचिवालय के संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) की ओर से आयोजित किया गया था। बिरला ने झांसी की रानी लक्ष्मी बाई और समानता के प्रतीक आदिवासी नेता भगवान बिरसा मुंडा जैसे महापुरुषों के बलिदान से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। भगवान बिरसा मुंडा का संघर्ष जंगलों और भूमि के संरक्षण के साथ आदिवासी समुदायों की गरिमा और स्वाभिमान की रक्षा की लड़ाई भी लड़ी। इस कार्यक्रम में 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) की 500 से अधिक जनजातीय महिला प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम, केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहटकर, महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर, लोक सभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। लोक सभा सचिवालय में संयुक्त सचिव गौरव गोयल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
स्थानीय निकायों में 14 लाख से अधिक महिला प्रतिनिधि
बिरला ने कहा कि लोकतंत्र भारत की गौरवशाली धरोहर है। संसद एवं विधानमंडलों से लेकर ग्राम स्तर तक लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण हमारी विधायी शासन प्रणाली की अनूठी विशेषता है। दुनिया में सर्वाधिक 14 लाख से अधिक महिलाएं आज भारत में स्थानीय निकायों में प्रतिनिधित्व कर रहीं हैं। जमीनी स्तर पर पंचायतों से राष्ट्रीय स्तर पर संसद में महिलाओं का नेतृत्व परिवर्तन लाने, जवाबदेही सुनिश्चित करने और समावेशी विकास मॉडल बनाने में सहायक रहा है। उन्होंने कहा कि कई राज्यों ने महिलाओं के लिए अनिवार्य 33 फीसदी आरक्षण को पार कर लिया है और कुछ मामलों में यह भागीदारी 50 फीसदी से भी अधिक हो गई है। बिरला ने महिला प्रतिनिधियों से महिलाओं के नेतृत्व में विकास और ग्रामीण आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा करने का आग्रह किया।
एआइ को अपनाए
बिरला ने महिला जनप्रतिनिधियों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों को अधिक जनोन्मुखी बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ), मशीन लर्निंग और नवाचार को अपनाने का भी आग्रह किया। बिरला ने एआई उपकरण-संसद भाषिणी के माध्यम से प्रतिनिधियों से बातचीत की। इस उपकरण के माध्यम से गुजराती, मराठी, ओडिया, तमिल, तेलुगु और मलयालम में संवाद किया जा सकता है।