आगरा में स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के ऑफिस में वर्ष 1942 में खींची गई तस्वीरें मौजूद हैं। ये उस बात का सबूत हैं कि कैसे ताजमहल को निस्तेनाबूद होने से बचाने के लिए पहल की गई थी। ऑफिशियल्स के मुताबिक उस वक्त भारत की मदद कर रहे मित्र देश अमेरिका, ब्रिटेन व अन्य को खूफिया सूचना मिली थी कि जापान और जर्मनी ताजमहल पर बम बरसाने की कोशिश करने वाले है। इसके लिए वे ताजमहल पर हवाई हमला करने का प्लान बना रहे थे।
इस सुचना के मिलने के बाद तुरंत ताजमहल को ढक दिया गया था। सरकार ने ताजमहल को निरंतर गिरने वाले बॉम्ब्स से सुरक्षित रखने के लिए विशेष प्रकार की घेराबंदी की। ताजमहल को बांस और बल्लियों से ढकने का फैसला लिया। इसके बाद पूरे ताज महल को ऐसा ढंका गया जैसे वो बांस का गट्ठर लगे और दुश्मन के लड़ाकू विमान भ्रमित हो जाएं। इतना ही नहीं ताजमहल पर ब्रिटिश जवान पहरा भी देते थे। किसी को भी यहां फोटो खींचने तक की मनाही थी। आपके लिए यह जानना दिलचस्प होगा कि तब यह पहला मौका था जब 188 दिन तक लगातार ताज के दरवाजे सैलानियों के लिए बंद रहे।
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दूसरी बार वर्ष 1965 में भी भारत-पाक युद्ध के दौरान ताजमहल को विशेष लिवाज से ढंका गया था। हालांकि इस बार ताज को सिर्फ पांच दिनों के लिए ही ढंका गया था।तो वहीं 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान भी ताजमहल पर दूसरी बार खतरा मंडराया था। उस वक्त ताजमहल को हरे कपड़े से ढंका गया था। ताकि पाकिस्तानी विमानों को ताजमहल की जगह हरियाली नजर आए। 1971 में पाकिस्तान सेना ताज महल को निशाना बनाना चाहती थी। खुफिया रिपोर्ट मिली की पाकिस्तानी वायुसेना आगरा में हवाई हमला कर सकती है। यह खतरा इसलिए भी था, कि पाकिस्तानी बमवर्षक विमानों ने ताजमहल से करीब 10 किलोमीटर दूर एयफोर्स स्टेशन पर बम गिराए थे। ऐसे में सरकार ने ताजमहल को हरे कपड़े से ढकने का फैसला लिया।