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अदालत में चार याचिकाएं लगाई गई थीं
आपको बता दें कि शुक्रवार को अदालत ने सभी याचिका पर सुनवाई पूरी की। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि भले ही सीएम ने धरना खत्म कर दिया हो लेकिन अदालत को यह बताना चाहिए कि धरना संवैधानिक था या नहीं। याचिकाकर्ता ने कहा कि यदि सीएम फिर से उपराज्यपाल या फिर किसी अधिकारी के घर पर धरना करते हैं तो आम लोगों के सामने कानून और अदालत का रुख स्पष्ट रहे। आपको बता दें कि जब केजरीवाल उपराज्यपाल के आवास पर धरना दे रहे थे तो उससे संबंधित चार याचिकाएं दिल्ली हाईकोर्ट में लगाई गई थीं। एक याचिका में मांग की गई थी कि धरने को लेकर क्या दिशा-निर्देश होने चाहिए उस पर कोर्ट को तय करे। इस पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गीता मित्तल और श्री हरि शंकर ने कहा कि उप राज्यपाल के घर धरना संवैधानिक था या नहीं, हम अब इन याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करना चाहते।
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सभी नागरिकों के पास है धरने का अधिकार: कोर्ट
आपको बता दें कि अदालत ने सुनवाई करते हुए कहा कि यूं तो लोकतंत्र में धरना देने का अधिकार हर नागरिक के पास है। लेकिन हाईकोर्ट में याचिका इस बात पर लगाई गई थी कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ही अपने मंत्रियों के साथ उप-राज्यपाल के घर में धरने पर बैठ गए थे। यदि मुख्यमंत्री धरने पर नहीं बैठते तो कोर्ट में याचिका भी नहीं लगाई जाती। लेकिन अब धरना खत्म हो गया है और अब इस मामले में आगे सुनवाई की कोई जरूरत नहीं है। हां, यदि सीएम फिर से धरने पर बैठते हैं तो याचिका लगाई जा सकती है और उसपर सुनवाई भी की जाएगी। शुक्रवार को इस मामले को लेकर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने कहा, हम कांग्रेस की तर्ज पर इस तरह की याचिकाओं को लगातार सुनवाई के पक्ष में नहीं हैं। धरना भी खत्म हो चुका है। लिहाजा याचिकाओं पर आगे सुनवाई की जरूरत है या नहीं ये अदालत खुद तय करे।