गृहमंत्री ने बताया कि साइबर धोखाधड़ी न्यूनीकरण केंद्र बनाने का मकसद बैंक, वित्तीय संस्थान, टेलीकॉम कंपनी, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर और पुलिस को एक ही मंच पर लाने का है, ताकि साइबर अपराध पर त्वरित कार्रवाई हो सके। आने वाले दिनों में यह साइबर अपराध की रोकथाम का एक प्रमुख प्लेटफॉर्म बनेगा। उन्होंने कहा कि इस केन्द्र को अलग-अलग डेटा का एआई के उपयोग से साइबर अपराधियों के काम करने के तरीकों की पहचान कर इसकी रोकथाम का काम करना चाहिए। शाह ने कहा कि साइबर कमांडो कार्यक्रम के तहत 5 साल में लगभग 5 हज़ार साइबर कमांडो तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।
अमित शाह ने कहा कि नीड टू नो के स्थान पर ड्यूटी टू शेयर आज के समय की मांग है और इसके लिए समन्वय प्लेटफॉर्म से अधिक कारगर कुछ नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि डेटा ड्रिवेन अप्रोच के साथ समन्वय प्लेटफॉर्म को आगे बढ़ाया गया है और देश में एक साझा डेटा कोष बनाने का यह पहला प्रयास है। गृह मंत्री ने कहा कि आज शुरू हुए चार इनीशिएटिव आई फोर सी और देशभर की पुलिस ने साथ में मिलकर लिए हैं, ये साइबर अपराध के खिलाफ लड़ाई को और पुख्ता, मजबूत और सफल बनाने में बड़ा योगदान देंगे।
गृह मंत्री ने कहा कि देश में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 31 मार्च 2014 को 25 करोड़ से बढ़कर 31 मार्च 2024 को 95 करोड़ हो गई थी। डाउनलोड स्पीड बढ़ने और लागत कम होने से डेटा की खपत में भी बहुत बढ़ोतरी हुई है। पहले औसत उपयोग 0.26 जीबी था जो लगभग 78 गुना बढ़ोतरी के साथ आज 20.27 जीबी हो गया है। डिजिटल इंडिया के इनीशिएटिव के कारण देश में कई सुविधाएं ऑनलाइन हो गई हैं। 35 करोड़ जनधन खाते और 36 करोड़ रुपे डेबिट कार्ड के साथ 2024 में 20 लाख 64000 करोड़ रुपये का लेनदेन डिजिटल माध्यम से हुआ है। विश्व का 46 प्रतिशत डिजिटल ट्रांजेक्शन वॉल्यूम आज भारत में हो रहा है। गृह मंत्री ने कहा कि जब डिजिटल अकाउंट और डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ते हैं, तो डिजिटल फ्रॉड से सुरक्षा की ज़रूरत भी बहुत अधिक बढ़ जाती है।
गृह मंत्री ने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में हर राज्य के पास साइबर सस्पेक्ट रजिस्ट्री अलग-अलग रहने से किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी क्योंकि राज्यों की अपनी सीमा है लेकिन साइबर अपराधियों की कोई सीमा नहीं है। उन्होंने कहा कि ये समय की मांग थी कि राष्ट्रीय स्तर पर एक सस्पेक्ट रजिस्ट्री बनाई जाए और राज्यों को इसके साथ जोड़कर साइबर अपराध से लड़ने के लिए एक साझा मंच तैयार किया जाए। इस पहल से आने वाले दिनों में साइबर अपराधों की रोकथाम में हमें बहुत मदद मिलेगी।