नई दिल्ली

यूपी में भाजपा के गढ़ में लड़ने से बेहतर कांग्रेस ने चुनी ‘कुर्बानी’

इंडिया ब्लॉक की उलझन खत्मः पर्दे के पीछे की कहानी

नई दिल्लीOct 25, 2024 / 10:41 am

Shadab Ahmed

शादाब अहमद
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में विधानसभा की नौ सीटों पर उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) ने एकतरफा फैसला करते हुए कांग्रेस के लिए गाजियाबाद सदर और अलीगढ़ जिले की खैर सीट छोड़ी थी। दोनों ही सीट भाजपा के मजबूत गढ़ हैं। ऐसे में कांग्रेस ने इन सीटों पर चुनाव लड़ने से बेहतर इंडिया ब्लॉक की एकता के लिए ‘कुर्बानी’ की राह चुनी और सभी सीटों पर सपा को समर्थन की घोषणा कर दी। इसे यूपी में कांग्रेस के सफाए का ऐलान बताते हुए सोशल मीडिया पर तरह-तरह के कमेंट चल रहे हैं।
दरअसल, हरियाणा के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद इंडिया ब्लॉक के सहयोगी दलों ने सीटों की सौदेबाजी में कांग्रेस की तरजीह देना कम कर दिया। इसका असर उत्तर प्रदेश में सबसे पहले दिखा, जहां सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने हरियाणा के नतीजों के तत्काल बाद बिना बात किए छह सीट पर उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए। इसी बीच, कांग्रेस के मजबूत स्थिति वाले महाराष्ट्र में सपा ने करीब 12 सीट की मांग कर दी। इसके बाद कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदलते हुए यूपी में चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया।

कांग्रेस बोली, संविधान बचाने का चुनावः

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा कि आज का समय अपने संगठन या पार्टी को बचाने का नहीं है, यह समय संविधान और भाईचारे की रक्षा करने का है। इसे ध्यान में रखकर कांग्रेस यूपी उपचुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारेगी। इंडिया ब्लॉक की विजय के लिए प्रयासरत रहेंगे।

अखिलेश ने कहा, बात सीट की नहीं, जीत की

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने राहुल गांधी के साथ फोटो साझा करते हुए कहा कि बात सीट की नहीं जीत की है। इस रणनीति के तहत इंडिया गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी सभी नौ सीटों पर सपा के चुनाव चिह्न ‘साइकिल’ के निशान पर चुनाव लड़ेंगे। इंडिया गठबंधन जीत का एक नया अध्याय लिखने जा रहा है।

आंकड़ों में कांग्रेस-सपा के हालात

2022 में गाजियाबाद में भाजपा ने एक लाख पांच हजार वोटों से सपा को हराया था। कांग्रेस उम्मीदवार को महज 11 हजार 818 वोट मिले थे। खैर सीट को भाजपा ने करीब 73 हजार से अधिक वोटों से जीता था। यहां 65 हजार वोट लेकर बसपा दूसरे नंबर पर थी। सपा के सहयोगी आरएलडी को महज 42 हजार वोट मिले थे। कांग्रेस सिर्फ 1494 वोट हासिल कर सकी थी। इससे पहले हुए 2017 व 2012 के चुनावों में भी सपा व कांग्रेस की स्थिति ऐसी ही रही।

कांग्रेस ने क्यों छोड़ी सीटें

1- कांग्रेस चाहती थी कि इंडिया ब्लॉक के प्रत्याशी के तौर पर यूपी में उसे पांच सीट मिल जाए। अखिलेश ने सिर्फ दो ऐसी सीट देने का प्रस्ताव दिया, जहां कांग्रेस का जीतना कठिन था।
2- सपा ने फूलपुर सीट कांग्रेस को देने का संकेत देकर मुज्तबा सिद्दीकी से पर्चा दाखिल करवा दिया। ऐसे में यदि फैसला बदलता तो देशभर के अल्पसंख्यकों में गलत संदेश जाता।
3- यूपी में सीटें छोड़कर कांग्रेस ने संदेश दिया कि भाजपा को हराने के लिए त्याग करना पड़ेगा। अब महाराष्ट्र में सपा को कम सीटों पर मनाया जा सकेगा, जहां वह 12 सीट मांग रही है।

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