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नई दिल्ली

चूहों में मिलीं पुराने घाव भरने में मदद करने वाली कोशिकाएं

शरीर में ही मरहम : 100 साल पहले अनुमान था, नए शोध ने सही साबित कर दिया

नई दिल्लीSep 28, 2024 / 01:19 am

ANUJ SHARMA

सिडनी. करीब 100 साल पहले वैज्ञानिकों ने अनुमान जताया था कि स्तनधारियों के शरीर में ऐसी कोशिकाएं होनी चाहिए, जो घाव भरने में मदद करती हैं। यह अनुमान अब सही साबित हो गया है। ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने वयस्क चूहों की महाधमनी में ऐसी कोशिकाओं की खोज की है। इन्हें ‘एंडोमैक प्रोजेनिटर’ नाम दिया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मानव शरीर में भी इस तरह की कोशिकाएं हो सकती हैं।साउथ ऑस्ट्रेलियन हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों का शोध नौ साल में पूरा हुआ। नेचर कन्यूनिकेशन जर्नल में छपे शोध के मुताबिक जब शरीर को जरूरत होती है, ये कोशिकाएं रक्त वाहिकाओं को बढ़ाने में मदद करती हैं। चोट लगने या रक्त प्रवाह में गड़बड़ी पर ये सक्रिय हो जाती हैं। इनमें तेजी से वृद्धि होती है। इससे घाव भरने में मदद मिलती है। चूहों में ये कोशिकाएं हृदय की महाधमनी में शुरुआती विकास के दौरान पनपती हैं। जैसे-जैसे चूहे की उम्र बढ़ती है, खून के साथ बहने वाली स्टेम कोशिकाएं ऊतकों में नए ‘मैक्रोफेज’ (प्रतिरक्षा कोशिकाएं) बनाती हैं।
डायबिटीज से पीडि़त चूहों को मिला आराम

शोधकर्ताओं ने स्वस्थ वयस्क चूहों से एंडोमैक प्रोजेनिटर कोशिकाएं निकालकर प्रयोगशाला में उनकी कॉलोनी विकसित की। बाद में इन्हें डायबिटीज से पीडि़त ऐसे चूहों में इंजेक्ट किया गया, जो काफी समय से घाव से जूझ रहे थे। चूहों के घाव भरने लगे। शोध की मुख्य लेखक सानुरी लियानेज का कहना है कि ये कोशिकाएं पुराने घावों से जूझ रहे मरीजों के इलाज में गेमचेंजर साबित हो सकती हैं।
आसानी से की जा सकती हैं प्रत्यारोपित

शोधकर्ताओं का कहना है कि एंडोमैक प्रोजेनिटर कोशिकाओं की खोज स्तनधारियों के शरीर के इलाज के बारे में हमारी समझ बढ़ाती है। इन कोशिकाओं के पास ‘पहचान टैग’ नहीं होते। इसलिए इन्हें आसानी से प्रत्यारोपित किया जा सकता है। प्रतिरक्षा तंत्र बाहरी चीज समझकर इन पर हमला नहीं करता।

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