नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बिहार सरकार ने जारी किया आदेश, अब लोहार जाति को नहीं मिलेगी ST की सुविधाएं

बिहार सरकार ने लोहार जाति से अनुसूचित जनजात‍ि (ST) का दर्जा छीन लिया है। बिहार सरकार की ओर से इस संबंध में आदेश जारी हुआ है जिसे तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है।

नई दिल्लीApr 21, 2022 / 01:24 pm

Archana Keshri

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बिहार सरकार ने जारी किया आदेश, अब लोहार जाति को नहीं मिलेगी ST की सुविधाएं

बिहार की राजधानी पटना से इस वक्‍त की सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है। बिहार में अब लोहार अनुसूचित जनजाति की श्रेणी से बाहर हो गए हैं। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में सामान्य प्रशासन विभाग ने लोहार जाति को दी गई अनुसूचित जनजाति की सुविधाओं को निरस्त कर दिया गया है। इस बाबत गुरुवार को आदेश भी जारी कर दिया गया है। लोहार जाति के लोगों को पहले से जारी अनुसूचित जनजाति के प्रमाण-पत्र मान्य नहीं होंगे।
बिहार सरकार द्वारा लोहार जाति को अनुसूचिज जनजाति की श्रेणी से निकालने के फैसले को तत्‍काल प्रभाव से लागू करने का निर्देश दिए गए है। राज्‍य सरकार के इस आदेश के बाद लोहार जाति को एसटी श्रेणी के तहत मिलने वाली सभी तरह की सुविधाएं निरस्‍त हो जाएंगी। इस संबंध में सभी विभागों के साथ प्रमंडलीय आयुक्त, जिलाधिकारी, विभिन्न आयोग व अन्य कार्यालय प्रधान को पत्र लिखा गया है।
बता दें बिहार में लोहार जाति को वर्ष 2016 में अत्यंत पिछड़े वर्गों की सूची से हटाकर अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया था। लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र निर्गत करने के साथ ही अन्य सभी सुविधाएं भी देने का आदेश जारी किया गया था। तो वहीं दूसरी तरफ, लोहार जाति को अत्‍यंत पिछड़ा वर्ग की श्रेणी से हटाकर एसटी कैटेगरी में शामिल करने के प्रदेश सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

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सुनील कुमार राय एवं अन्य बनाम राज्य सरकार एवं अन्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने 21 फरवरी 2022 को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के वर्ष 2016 के उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसमें लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति की तरह सुविधाएं दी गई थी। अब लोहार जाति को नए सिरे से एनेक्चर-1 का जाति प्रमाण-पत्र बनवाना होगा। इस जाति के सदस्य पहले की तरह अत्यंत पिछड़े वर्गों की सूची ‘एनेक्चर-1’ में शामिल रहेंगे।
पहले की तरह ही अब लोहार जाति को राज्य के अधीन अत्यंत पिछड़े वर्गों को देय आरक्षण सहित दूसरी सभी सुविधाएं मिलेंगी। हालांकि, बीते 5-6 सालों में अनुसूचित जनजाति श्रेणी में आरक्षण के माध्यम से बहाल हुए इस जाति के सरकारी सेवकों का क्या होगा, सरकार की ओर से जारी आदेश में इस बात को स्पष्ट नहीं किया गया है।

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