नई दिल्ली। हरियाणा के विधानसभा चुनाव के नतीजें चौकाने वाले जरूर है, लेकिन आंकड़ों के विश्लेषण से भाजपा की आक्रमक चुनावी शैली का साफ पता चला है। लोकसभा चुनाव के बाद जैसे ही किसान, जवान और पहलवान के मुद्दे ने जोर पकड़ा, वैसे ही भाजपा ने सवर्ण व ओबीसी वर्ग के दबदबे वाले क्षेत्र में खासी मेहनत शुरू कर दी, जिसका नतीजा हरियाणा में जीत की हैट्रिक के रूप में सामने आया है। भाजपा ने ग्रांट ट्रंक रोड पर जीत का ऐसा ‘फर्राटा’ भरा है, जो दक्षिण में फरीदाबाद जाकर रुका। हरियाणा के इन दो क्षेत्रों ने भाजपा की झोली में 32 सीट डालकर सरकार बनाने की राह आसान कर दी।
दरअसल, कांग्रेस की रणनीति किसान, जवान और पहलवान के नाम पर जाटों के इर्द-गिर्द रही। भाजपा ने इसे भांपते हुए ऐसे इलाकों पर फोकस किया, जहां भाजपा मजबूत है या सवर्ण, पंजाबी, ओबीसी के साथ दलित वर्ग का बाहुल्य है। यही वजह है कि ग्रांट ट्रंक रोड क्षेत्र के पंचकुला, अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, पानीपत और सोनीपत जिले की 27 विधानसभा सीटों में से 15 पर जीत दर्ज की। इसके अलावा जाटों के साथ यादव बाहुल्य वाले दक्षिणी हरियाणा के रेवाड़ी, गुडग़ांव, फरीदाबाद, महेन्द्रगढ़ जिले की 23 में से 17 सीट पर भाजपा को जीत मिली। कांग्रेस सिर्फ 6 सीट पर सिमट गई। वहीं बगर क्षेत्र में कांग्रेस का प्रदर्शन भाजपा के मुकाबले अच्छा रहा है। इस क्षेत्र में फतेहाबाद, सिरसा, हिसार, भिवानी जिले की 19 सीटें शामिल है। यह इलाके जाट बाहुल्य कहे जाते हैं। यहां कांग्रेस ने 10, भाजपा ने 6 और आईएनएलडी ने 2 सीट पर जीत दर्ज की है। इसके अलावा देशवाल क्षेत्र में रोहतक, झज्जर, चरखी दादरी, जिंद जैसे जिलों की 21 सीटें शामिल है। यहां कड़े मुकाबले के चलते भाजपा ने 10 और कांग्रेस ने 9 सीट पर जीत दर्ज दी। जबकि दो सीट अन्य के खाते में गई है।