25 स्वस्थ वयस्कों पर ऐसा किया गया शोध शोध में जीए-2 वैक्सीन को मौजूदा वैक्सीन जीए-1 और प्लेसबो के साथ परखा गया। शोधकर्ताओं ने 25 स्वस्थ वयस्कों को तीन समूहों में बांटकर तीन बार अलग-अलग वैक्सीन दी। सभी को मच्छरों के जरिए मलेरिया संक्रमण के संपर्क में लाया गया। जीए-2 वाले समूह के 89 फीसदी प्रतिभागियों को मलेरिया से सुरक्षा मिली। जीए-1 वालों में यह आंकड़ा सिर्फ 13 फीसदी था, जबकि प्लेसबो वाले किसी प्रतिभागी को बीमारी से सुरक्षा नहीं मिली।
लंबे समय पर प्रभावी बनाने की तैयारी शोध में शामिल वैक्सीन विशेषज्ञ मेटा रोएस्टेनबर्ग ने बताया कि जीए-2 वैक्सीन वाला मच्छर इंसान को जिस जगह काटेगा, वहां लाली छा जाएगी। कुछ देर खुजली होगी, लेकिन मलेरिया से बचाव हो जाएगा। फिलहाल नई वैक्सीन का असर कुछ दिन ही रहता है। इसे लंबे समय पर प्रभावी बनाने के लिए और शक्तिशाली बनाने की तैयारी चल रही है।