अब आपके मन में ये बात जरूर आई होगी की मेंढक की शादी का बारिश से क्या कनेक्शन है। तो आपको बता दें, इस गांवों में ऐसी परंपरा रही है कि अगर बारिश नहीं हो रही है तो मेंढ़क की शादी कराने से होने लगती है। आधा सावन बीत चुका लेकिन जिले में अब तक धान की रोपनी शुरू नहीं हो पाई है। बारिश न होने के कारण यहां के खेत सूखे पड़े हैं। ऐसे में औरंगाबाद के लोगों ने इस समस्या से निदान पाने के लिए यह तरीका अपनाया है।
गांव के लोगों का मानना है कि मेंढक-मेंढकी की शादी का मौसम से कनेक्शन है। मानसून के दौरान मेंढक बाहर निकलता है और टर्राकर मेंढकी को अपनी ओर आकर्षित करता है। मेंढक-मेंढकी की शादी एक प्रतीक के तौर पर कराई जाती है, जिससे वो दोनों मिलन के लिए तैयार हो जाएं और बारिश आ जाए। लोगों की मान्यता है कि ऐसा करने से इंद्र देवता प्रसन्न होकर बारिश करते हैं।
इस शादी के लिए मेंढकी को दुल्हन की तरह सजाया गया। उसे लाल चुनरी भी ओढ़ाई गई। दूल्हा बने मेंढ़क के सिर पर सहरा सजाया गया। इसके बाद बकायदा शादी की सभी रस्में निभाई गई। यह शादी विधि विधान से ब्राह्मण-पुरोहित की उपस्थिति में कराई गई। इतना ही नहीं बाराती और सराती (लड़की पक्ष) के खाने के लिए भोजन की भी व्यवस्था की गई थी। शादी देखने गांव के लोग इकट्ठे हुए थे।
अचम्भव वाली बात ये है की गांव वालो ने जैसे ही मेंढक और मेंढकी को शादी के लिए मंडप में बैठाया तभी आसमान में बादल घने होने लगे। इसके बाद गांव वालो के चेहरे पर खुशी का महौल बन गया। वहीं शादी के बाद जब ग्रामीण विदाई की रस्म निभाने लगे तभी आसमान से जोरदार बारिश होने लगी। इस बारिश के बाद गांव के लोग इस अंधविश्वास पर और भी ज्यादा भरोसा करने लगे हैं। लोगों का कहना है कि हमने जो शादी कराई है उसी से खुश होकर इंद्र देवता ने ये बारिश की है।
हालांकि मौसम विभाग ने भी 19 जुलाई को बारिश की संभावना जताई थी। कृषि विज्ञान केंद्र औरंगाबाद में कार्यरत कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ. अनूप कुमार चौबे ने भी 19 जुलाई से बारिश होने की संभावना व्यक्त की थी। इसके लिए मौसम विभाग ने एक बुलेटिन भी जारी की थी। डॉ अनूप ने बताया कि पहले से ही निर्धारित था कि 19 जुलाई को बारिश हो सकती है।
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