झरिया (झारखंड)। देश की कोयला राजधानी धनबाद का झरिया जाते समय मुझे शानदार हाइवे, डिवाइडर और रोड लाइटें लगी मिली, लेकिन हाइवे के दोनों ओर मलबे के ऊंचे पहाड़ भी दिखे। इन पहाड़ों के पीछे छिपी है कोयले की खानें और उनसे जुड़ी कोयले की तरह ‘काले’ अपराधों की कहानी। कोयला अपराध से लेकर सियासत की आग को धधकाता है। यही वजह है कि यहां की कहानी ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ से आगे निकल कर अब सिंह परिवार (सूर्यदेव सिंहृ) के पारिवारिक झगड़े, हत्या और कोयला बाहुल्य इलाके में दबदबे के लिए झरिया विधानसभा सीट के चुनाव से जुड़ चुकी है। जहां पांच साल में दूसरी बार देवरानी-जेठानी फिर से आमने सामने चुनाव लड़ रही है।
झरिया के मुख्य चौराहे पर सूर्य देव सिंह की बड़ी प्रतिमा लगी हुई है। यहां से कुछ आगे चाय की दुकान चलाने वाले रोमेश्वर साहू कहने लगे कि सियासत और कोयले से जुड़ा कारोबार कभी अलग हो नहीं सकता। यह चुनाव तो बस अपने रसूख को दिखाने भर का है। जो जीतेगा, कोयला खानों में उसकी ज्यादा चलेगी। दरअसल, साहू ने इशारों में बता दिया कि सिंह परिवार के सदस्य कोयला राजधानी पर रसूख के लिए चुनाव मैदान में उतरे हुए हैं। इस परिवार की आपसी रंजिश के घाव करीब सात साल पहले सिंह परिवार के सदस्य नीरज सिंह की हत्या से गहरे हुए। हत्या के आरोप में नीरज के चचेरे भाई पूर्व विधायक संजीव सिंह जेल में बंद है। दिवंगत नीरज की पत्नी पूर्णिमा नीरज सिंह यहां से विधायक व कांग्रेस उम्मीदवार है। जबकि संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही है। जहां पूर्णिमा नीरज के ‘बलिदान’ होने पर वोट मांग रही है तो उनकी जेठानी रागिनी परिवार के सम्मान को वापस लाने के लिए चुनाव जिताने की अपील लोगों से कर रही है। पान की दुकान चलाने वाले चन्द्रशेखर महतो ने कहा कि अब चुनाव आ गए तो सब शक्ल दिखा रहे हैं। उन्होंने कस्बे की खराब सडक़ दिखाते हुए कहा कि पांच साल किसी ने पूछा नहीं। इसलिए बदलाव भी जरूरी है। ओमप्रकाश पांडे का कहना है कि इस सीट पर राजपूतों के साथ मुसलमानों की संख्या ज्यादा है। हालांकि झारखंड लोकतांत्रिक क्रांति मोर्चा ने मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा कर कांग्रेस की राह में रोडा डाल दिया है।