नई दिल्ली

पेशाब और सीवेज से सिंगापुर में बनाई जा रही बियर, ईको-फ्रेंडली बियर के तौर पर किया जा रहा पेश

पानी की कमी से जूझ रहे सिंगापुर में एक शराब की भठ्ठी ने न्यूब्रू नामक बीयर लॉन्च की है। जिसे उस सीवेज के पानी से बनाया जा रहा है। इस बीयर को दुनिया की सबसे ईको-फ्रेंडली बीयर के तौर पर पेश किया जा रहा है।

नई दिल्लीMay 27, 2022 / 06:08 pm

Archana Keshri

पेशाब और सीवेज से सिंगापुर में बनाई जा रही बीयर, ईको-फ्रेंडली बीयर के तौर पर किया जा रहा पेश

सिंगापुर में एक नई तकनीक से बियर तैयार हो रही है। दुनिया में बीयर को सबसे लोकप्रिय पेय पदार्थों में से एक है। इसे बनाने के लिए पानी की बहुत अधिक मात्रा की जरूरत होती है। इसलिए पानी की कमी से जूझ रहे सिंगापुर में एक शराब की भठ्ठी ने ‘न्यूब्रू’ नामक बीयर लॉन्च की है। यह नई बियर किसी सामान्य बियर की तरह दिखती है और इसका स्वाद भी किसी दूसरी बियर जैसा है, लेकिन इसे बनाने में सबसे अलग तरीके का इस्तेमाल हो रहा है। वैसे तो बीयर फलों और जौ के पानी के सड़ाकर एल्कोहल मिलाकर बनाई जाती है, लेकिन सिंगापुर में सीवेज यानी गंदे नाले के पानी और यूरीन बीयर बनाई जा रही है।
न्यू्ब्रू नाम के इस बीयर को फिलहाल दुनिया के सबसे इको-फ्रेंडली बीयर के रूप में प्रमोट किया जा रहा है। सिंगापुर की ब्रूवरी (जहां बीयर बनाई जाती है) में बीयर बनाने की प्रक्रिया में कुछ अनोखा और अजीबो-ग़रीब प्रयोग किया गया है। इसमें नालों के पानी (जिसमें इंसनों का पेशाब और मल बहता हैं) और अपशिष्ट को रिसाइकल किया जाता है और फिल्टर करके तैयार किया जाता है। तो वहीं इस खास लिक्विड का नाम नीवॉटर है।


दरअसल न्यूब्रू करीब 95 प्रतिशत नीवॉटर से बनी है, जो ना सिर्फ सुरक्षित पेयजल के अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करता है, बल्कि बीयर बनाने के लिए उपयोग करने के लिए पूरी तरह से फिल्टर किया जाता है। इसका उद्देश्य हाल के सालों में देश की पानी की समस्याओं के बारे में जागरूकता पैदा करना है। बता दें कि सिंगापुर को इस वक्त पानी की कमी की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
तो वहीं नीवॉटर सिंगापुर में करीब 20 सालों से मौजूद हैं। इसे सिंगापुर की वॉटर सप्लाई में भी डाला जाता है। सिंगापुर की वॉटर अथॉरिटी ने देश की पानी की कमी के मुद्दों और उन समस्याओं को हल करने के लिए इनोवेटिव सॉल्यूशन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए दुकानों और बारों में इस ख़ास पीयर को लॉन्च किया है। ऐसा माना जा रहा है कि इस बीयर को पीने के बाद मुंह में शहद जैसा स्वाद रह जाता है। वहीं, इसमें प्रीमियम क्वालिटी का जर्मन बार्ली माल्ट, एरोमेटिक सिट्रा, कैलिप्सो हॉप्स, केविक जैसी सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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सिंगापुर की वॉटर अथॉरिटी का कहना है कि यहां पीने के पानी की भारी कमी है। ये देश हर तरफ से समुद्र से घिरा है। समुद्र के पानी का इस्तेमाल पीने के लिए नहीं किया जा सकता। ऐसे में सरकार सालों ने पीने के पानी के विकल्प पर काम कर रही है। पानी की कमी के कारण यह देश सालों से मलेशिया से पीने का पानी खरीद रहा है। बारिश के पानी को भी स्टोर करके रिसाइकल किया जाता है।

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इन सब के बावजूद भी सिंगापुर को जरूरत का सिर्फ 50 फीसदी पानी ही मिल पाता है। बाकी जरूरत के काम के लिए नाले या सीवेज के पानी का इस्तेमाल करना पड़ता है। तो वहीं एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2060 तक सिंगापुर में आबादी बढ़ने के साथ ही पानी की मांग दोगुनी होने की उम्मीद है। ऐसे में नीवॉटर का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने पर जोर दे रही है।

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बता दें कि इस तरीके से बीयर बनाना पहली बार नहीं है, इससे पहले क्राफ्ट बियर कंपनी ‘स्टोन ब्रूइंग’ ने 2017 में ‘स्टोन फुल सर्कल पेल एले’ लॉन्च किया था। अन्य ब्रुअरीज जैसे ‘क्रस्ट ग्रुप’ और ‘सुपर लोको ग्रुप’ ने भी स्वच्छ सीवेज रिसाइकिल पानी का उपयोग करके एक क्राफ्ट बीयर को लॉन्च किया था। तो आप बताईए कि कभी आपने कल्पना की है कि पेशाब से भी बीयर बनाई जा सकती है? और पेशाब से बनाई जा रही इस बीयर को क्या आप पीने का लेंगे रिस्क?

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