बता दें, चीन अल्पसंख्यक मुद्दों, उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न और पूर्वी तुर्केस्तान पर अवैध कब्जे पर दोहरा मापदंड बनाए हुए है। पूर्वी तुर्केस्तान पर अवैध कब्जे के परिणामस्वरूप उइघुर मुसलमान और पूर्वी तुर्किस्तान के लोग नरसंहार का सामना कर रहे हैं। उइघुर नरसंहार को समाप्त करने का एकमात्र तरीका पूर्वी तुर्केस्तान की स्वतंत्रता को बहाल करना है।
1949 में पूर्वी तुर्किस्तान पर चीन के कब्जे के बाद उन रियासतों में रहने वाले उइगर मुसलमानों की दशा बद से बदतर होती चली गई। चीन के कम्युनिस्ट शासन ने 1949 में कब्जे के बाद पूर्वी तुर्किस्तान का नाम बदलकर शिनजियांग कर दिया था। बांग्लादेश में मानवाधिकार संगठनों, गैर सरकारी संगठनों, सामाजिक संगठनों और धार्मिक संगठनों ने कई शहरों में चीन के खिलाफ प्रदर्शन कर उइगरों के उत्पीड़न पर विरोध जताया।
यहीं नहीं, भारत बांग्लादेश संप्रीति संघ (BBSS) वेलफेयर एसोसिएशन, एक गैर सरकारी संगठन, ने पूर्वी तुर्किस्तान की स्वतंत्रता की मांग के समर्थन में एक साइकिल रैली का आयोजन किया। प्रदर्शन में विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों, पत्रकारों, नेताओं और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। यह विरोध प्रदर्शन नारायणगंज, गाजीपुर और चटगांव में किया गया।
बैनर और तख्तियां लेकर प्रदर्शनकारियों ने उइगर मुसलमानों के कारण का समर्थन करने के लिए एक ह्यूमन चैन और विरोध रैली का आयोजन किया। उन्होंने चीन के अमानवीय कार्यों, उइगर अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार और पूर्वी तुर्केस्तान पर लगातार कब्जा करने के लिए चीन की आलोचना की। इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के लोगों से उइगर मुसलमानों का समर्थन करने और चीन की अवैध गतिविधियों की निंदा करने का आग्रह किया।
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