नई दिल्ली/ वाराणसी. भारतीय रेलवे के लिए इंजन बनाने वाले बनारस रेल इंजन कारखाने की कुशलता ने दुनिया का ध्यान खींचा है। दुनिया के कई देशों से डीजल रेल इंजन बनाने के लगातार आर्डर मिल रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में स्थित बनारस रेल इंजन कारखाना(बीएलडब्ल्यू) न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा कर रहा है, बल्कि अन्य देशों की ट्रेनों के लिए भी इंजन बना रहा। काशी के इस कारखाने ने पिछले पांच साल में कुल 171 डीजल रेल इंजन तैयार कर 11 देशों को निर्यात किए हैं। इसमें ज्यादातर अफ्रीकी देश हैं। बनारस रेल इंजन कारखाना की महाप्रबंधक(जीएम) अंजली गोयल ने पत्रिका को बताया कि हम ‘मेक इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड’ के विजन के साथ कार्य कर रहे हैं। प्रधानमंत्री और रेल मंत्री के विजन के तहत बनारस रेल इंजन कारखाना कार्य कर रहा है।
बनारस रेल इंजन कारखाने ने हाल में दक्षिण-पूर्वी अफ्रीका में स्थित देश मोजाम्बिक को 91.02 करोड़ रुपये के छह डीजल इंजनों को निर्यात किया है। मोजाम्बिक के लिए एक और 3000 एचपी केप गेज डीजल इंजन का निर्माण चल रहा है। मलेशिया से भी ऑर्डर मिले हैं। बनारस रेल इंजन कारखाने ने वर्ष 2018-19 और 2019-20 में श्रीलंका को 3000 एचपी के कुल 10 इंजनों का निर्यात किया। महाप्रबंधक अंजलि गोयल ने बताया कि एक पुराने एचएचपी डीजल लोको को स्टैंडर्ड गेज बोगी के साथ रेट्रोफिट कर सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। इससे अन्य देशों के लिए स्टैंडर्ड गेज पर नए और पुराने डीजल इंजनों के भविष्य में होने वाले निर्यात का रास्ता खुलेगा।
1400 करोड़ की कमाई
अफ्रीकी व अन्य देशों से डीजल रेज इंजन की डिमांड से बनारस के कारखाने की कमाई भी हो रही है। वर्ष 2015-16 से अगस्त 2021 तक 171 डीजल रेज इंजनों के निर्यात से कारखाने को 1407 करोड़ रुपये मिले हैं। दुनिया के कई देशों से कुछ अन्य पार्ट्स बनाने की भी डिमांड बनारस रेल इंजन कारखाने को मिलती है।
अफ्रीकी व अन्य देशों से डीजल रेज इंजन की डिमांड से बनारस के कारखाने की कमाई भी हो रही है। वर्ष 2015-16 से अगस्त 2021 तक 171 डीजल रेज इंजनों के निर्यात से कारखाने को 1407 करोड़ रुपये मिले हैं। दुनिया के कई देशों से कुछ अन्य पार्ट्स बनाने की भी डिमांड बनारस रेल इंजन कारखाने को मिलती है।
98 प्रतिशत स्वदेशी सामानों का उपयोग
बनारस रेल इंजन कारखाने में लोकोमोटिव उत्पादन में 98 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामानों का इस्तेमाल होता है। जिससे देश के एमएसएमई सेक्टर को भी बढ़ावा मिल रहा है। 2020-21 में कारखाने ने 3000 करोड़ रुपये की खरीद की थी, जिसमें 670 करोड़ रुपये के सामान एमएसएमई से जुड़े रहे। बनारस रेल इंजन कारखाने की आधारशिला 23 अप्रैल 1956 को प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने रखी थी और 3 जनवरी, 1964 को लाल बहादुर शास्त्री ने प्रथम डीजल-विद्युत लोकोमोटिव के निर्माण को देश को समर्पित किया था। तब से अब तक इस कारखाने ने भारतीय रेलवे के लिए 8307 डीजल और 967 विद्युत रेल इंजनों का निर्माण किया है।
देश रेल इंजन का निर्यात
बांग्लादेश 49
श्रीलंका 30
मलेशिया 01
तंजानिया 15
वियतनाम 25
म्यांमार 29
सूडान 08
सेनेगल 03
अंगोला 03
माली 01
मोजांबिक 07