हेनले खगोल के क्षेत्र में अध्ययन के लिए विश्व का सबसे ऊंचा स्थान है, जो हनले नदी के समीप है। यह जगह पुरातनकालीन लद्दाख-तिब्बत व्यापार मार्ग पर है। यह क्षेत्र बेहद खूबसूरत और प्राचीन चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य के अंतर्गत आता है। 17वीं सदी में यहां हनले मठ रहा है। यहां प्रदूषण बिल्कुल नहीं है। घनी काली रात में यहां से तारामंडल स्पष्ट रूप से दिखता है। अब लद्दाख प्रशासन इस जगह पर डार्क स्काई सेंचुरी स्थापित कर विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करेगा।
आपको बता दें कि ‘डार्क स्काई सेंचुरी’ में ऊर्जा खर्च किए बिना और दूसरे क्षेत्रों को प्रदूषित किए बगैर जरूरत के हिसाब से प्रकाश की प्राकृतिक व्यवस्था होती है। यहां रात को स्वाभाविक तौर पर अंधेरा और सितारों की प्राकृतिक रोशनी होती है।
हालांकि यह भारत का पहला एस्ट्रो टूरिज्म स्पॉट नहीं है। हमारे पास जयपुर में प्रसिद्ध जंतर मंतर है लेकिन हनले डार्क स्काई रिजर्व (HDSR) निश्चित रूप से भारत का पहला नामित डार्क स्काई रिजर्व होगा। वहीं अब लद्दाख के हानले के डार्क स्काई रिजर्व का विचार विज्ञान के माध्यम से स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देना है और इसके साथ-साथ हम खगोलीय अवलोकनों के बारे में बहुत कुछ सीख सकेंगे।