ऐसे में जनकपुरी से टिकट पाने के लिए कई भाजपा नेता लाइन में लगे हैं। इसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता आशीष सूद से लेकर पूर्व मेयर नरेंद्र चावला तक के नाम शामिल हैं। चर्चा ये भी है कि भाजपा इस बार यहां नए चेहरे पर दांव लगा सकती है। तीन जनवरी को दिल्ली में रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी दिल्ली में चुनावी बिगुल फूकेंगे। पीएम मोदी दिल्ली में ताबड़तोड़ दो रैलियां करेंगे। भाजपा सूत्रों की मानें तो पार्टी ने अपने प्रत्याशियों की सूची लगभग तैयार कर ली है। दिल्ली में चुनावी कार्यक्रम की घोषणा से पहले भाजपा इसे सार्वजनिक कर सकती है।
साल 2020 में हार के बाद भी मजबूत रही भाजपा
अगर हम साल 2020 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो जनकपुरी सीट पर भाजपा को वोट प्रतिशत में बढत मिली, लेकिन चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। इससे पहले साल 2015 में दिल्ली की जनकपुरी विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी से राजेश ऋषि और भाजपा से प्रो. जगदीश मुखी के बीच चुनावी मुकाबला था। इसमें राजेश ऋषि को 57.72 प्रतिशत वोट मिले थे। जबकि प्रो. जगदीश मुखी को 37.15 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए। जबकि साल 2020 में भाजपा ने आशीष सूद को प्रत्याशी बनाया। इसके बाद आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार राजेश ऋषि को 54.43 प्रतिशत वोट मिले। जबकि भाजपा प्रत्याशी आशीष सूद को 42.48 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए। ऐसे में यहां भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ गया।दो हिस्सों में बंटी विधानसभा का जानें पूरा गणित
दिल्ली की जनकपुरी विधानसभा सीट दो हिस्सों में बंटी है। यानी जनकपुरी विधानसभा सीट को पंखा रोड दो हिस्से में बांटती है। जनकपुरी विधानसभा क्षेत्र का एक हिस्सा पंखा रोड के एक तरफ पूरी तरह नियोजित है। जबकि दूसरी ओर का ज्यादातर क्षेत्र बिखरा हुआ और घनी आबादी वाला है। यह भी पढ़ें
दिल्ली चुनाव में बसपा भी उतारेगी अपने सूरमा, पांच जोन में बंटी राजधानी
जनकपुरी विधानसभा क्षेत्र में नगर निगम के तीन वार्ड जनकपुरी साउथ, जनकपुरी वेस्ट और महावीर एंक्लेव हैं। इनमें से जनकपुरी साउथ और जनकपुरी वेस्ट में भाजपा की पार्षद हैं। जबकि महावीर एंक्लेव में आम आदमी पार्टी से प्रवीण राजपूत पार्षद है। इसके अलावा जनकपुरी विधानसभा सीट पर पूर्वांचली मतदाताओं को निर्णायक माना जाता है। जबकि पंजाबी समुदाय के मतदाताओं का भी चुनाव में अहम रोल होता है।कांग्रेस के ससुर-दामाद अपने पक्ष में नहीं बना पाए माहौल
इस सीट पर कांग्रेस को कभी भी जीत नहीं मिली। साल 2020 में कांग्रेस ने यहां से राधिका खेड़ा को चुनावी मैदान में उतारा था। इस चुनाव में राधिका को सिर्फ दो हजार वोट ही मिल सके और वह तीसरे स्थान पर रहीं थीं। इससे पहले साल 2015 में इस सीट से कांग्रेस ने वरिष्ठ भाजपा नेता प्रो. जगदीश मुखी के दामाद सुरेश कुमार को प्रत्याशी बनाया। जबकि आम आदमी पार्टी ने यहां से राजेश ऋषि को चुनावी मैदान में उतारा। साल 2015 में राजेश ऋषि और प्रो. जगदीश मुखी के बीच सीधे मुकाबले में राजेश ऋषि को जीत मिली। यानि राजेश ऋषि ने ससुर और दामाद दोनों को शिकस्त देकर जीत हासिल की। इससे पहले साल 2013 के चुनावों में कांग्रेस ने यहां से रागिनी नायक को टिकट दिया था। रागिनी को भी हार का सामना करना पड़ा था।जनकपुरी विधानसभा का ये है जातीय गणित
दिल्ली की जनकपुरी विधानसभा एक ओर पॉश कॉलोनियों से सुसज्जित है। दूसरी ओर काफी संख्या में अवैध कॉलोनियां यहां का मुद्दा हैं। जनकपुरी विधानसभा क्षेत्र के जातीय समीकरणों पर नजर डालें तो यहां मिली-जुली जनसंख्या देखने को मिलती है। साल 2011 की जनगणना के अनुसार, जनकपुरी विधानसभा क्षेत्र में 16 प्रतिशत ओबीसी, 15 प्रतिशत पंजाबी, 10 प्रतिशत दक्षिण भारतीय, 9 प्रतिशत ब्राह्मण, 8 प्रतिशत वैश्य, 8 प्रतिशत एससी, 7 प्रतिशत सिख और 18 प्रतिशत अन्य मतदाता हैं। यानी जनकपुरी विधानसभा में जहां ओबीसी, पंजाबी मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। वहीं 18 प्रतिशत मिले-जुले मतदाता भी निर्णायक स्थिति में हैं।जनकपुरी विधानसभा की प्रमुख समस्याएं
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जनकपुरी विधानसभा में पार्किंग की सबसे बड़ी समस्या है। यह समस्या सबसे ज्यादा सीतापुरी और मिलापनगर को प्रभावित करती है। इन वार्डों में सड़कें टूटी हैं। रोड पर अवैध कब्जे ऐसे हैं कि राहगीरों को आने-जाने में भी परेशानी होती है। यहां के नाले खुले हैं। इसकी वजह से हल्की बारिश में भी जलभराव जैसी समस्या से लोगों को गुजरना पड़ता है। बच्चों के खेलने और बुजुर्गों के टहलने के लिए कोई पार्क नहीं है। पार्किंग नहीं होने के चलते लोगों को अपने वाहन सड़कों पर ही खड़े करने पड़ते हैं। इसकी वजह से आवागमन बाधित होता है। यह भी पढ़ें