नई दिल्ली

भारत में तीन लाख साल पहले भी होता था पशु वध, विलुप्त हाथियों के जीवाश्म ने खोला राज

शोध में खुलासा : 2000 में कश्मीर घाटी के पंपोर इलाके में पाए गए थे

नई दिल्लीOct 23, 2024 / 01:29 am

ANUJ SHARMA

नई दिल्ली. भारत में करीब तीन लाख साल पहले भी पशु वध होता था। कश्मीर में विलुप्त प्रजाति के हाथियों के जीवाश्मों के अध्ययन से यह खुलासा हुआ। जीवाश्म 2000 में कश्मीर घाटी के पंपोर इलाके में पाए गए थे। फ्लोरिडा म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के क्यूरेटर अद्वैत जुकर के नेतृत्व में टीम ने खुलासा किया कि अवशेष विलुप्त हो चुकी पैलियोलोक्सोडोन प्रजाति के तीन प्राचीन हाथियों के हैं। इनका आकार आधुनिक अफ्रीकी हाथियों से दोगुना से भी अधिक था। जीवाश्म तीन-चार लाख साल पुराने हैं। शोधकर्ताओं ने इस जगह हाथी की हड्डियों के टुकड़े पाए। इससे पता चलता है कि उस समय मानव ने हाथियों की अस्थि मज्जा निकालने का प्रयास किया होगा।
पत्थर के औजार मिले

हाथी के अवशेषों के साथ पत्थर के 87 औजार भी मिले। शोधकर्ताओं का मानना है कि इनका इस्तेमाल अस्थि मज्जा निकालने के लिए हुआ होगा। औजार बेसाल्ट से बने हैं। यह इस क्षेत्र में नहीं पाया जाता। उस समय लोग औजार बनाने के लिए कच्चे माल को भी साथ लाते थे।
मानव व्यवहार की मिलेगी जानकारी

क्वाटर्नेरी साइंस रिव्यूज और जर्नल ऑफ वर्टेब्रेट पेलियोन्टोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक शोधार्थियों का मानना है कि इससे भारतीय उपमहाद्वीप में प्रारंभिक मानव के व्यवहार के बारे में पता चलेगा। हाथियों के विकास और प्रवासी होने की भी जानकारी मिलेगी।

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