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नई दिल्ली

एआई से संसद के सभी दस्तावेज 22 भाषाओं में होंगे उपलब्ध:बिरला

-बजट सत्र महत्वपूर्ण, सहमति-असहमति हो, लेकिन नियोजित गतिरोध न हो
-साक्षात्कार

नई दिल्लीJan 22, 2025 / 11:17 am

Shadab Ahmed

शादाब अहमद

पटना। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का हमने बेहतर उपयोग किया है। भारत दुनिया का ऐसा लोकतंत्र है, जहां 22 भाषाएं है और फिलहाल हम संसदीय कार्यवाही का 10 भाषाओं में अनुवाद कर रहे हैं। आने वाले समय में 22 भाषाओं में यह अनुवाद होगा। इसके साथ ही हमारे जितने भी नोटिस, संसद की कार्यवाही, प्रश्न, चर्चा समेत संसदीय दस्तावेजों को 22 भाषा के अंदर लाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके साथ ही बिरला ने कहा कि बजट सत्र महत्वपूर्ण है और इसको सुचारू संचालन के लिए सभी राजनीतिक दलों से बात की जाएगी।
बिरला ने यह बातें ‘पत्रिका’ से विशेष बातचीत में कही। बिरला पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए पटना आए हुए थे। लोकसभा अध्यक्ष बिरला से बातचीत के खास अंश-

सवाल: दो दिन के इस सम्मेलन में क्या खास निर्णय हुए?
बिरला: बिहार की धरती आध्यात्मिक धर्म, संस्कृति, ज्ञान, और जन्म स्थली है। पटना की धरती से पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन नए संकल्प, नए विचार, नए मंथन के साथ आगे बढ़ा है। यहां हमने पांच संकल्प लिए हैं। इनमें संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता, श्रद्धांजलि, संविधान में निहित मूल्यों और आदर्शों के अनुरूप सदन का संचालन, विधायी संस्थाओं में बाधा रहित व्यवस्थित चर्चा, संविधान के 75 वर्ष पूरे होने पर वर्ष भर अभियान और टेक्नॉलजी व एआई के उपयोग का संकल्प शामिल है।
सवाल: आप टेक्नॉलजी व एआई के उपयोग पर जोर दे रहे हैं। इसमें संसद में कितनी सफलता मिली है?

बिरला: हमने 1947 से अभी तक की संसद की कार्यवाही का हमने डिजिटलाइजेशन किया है। मेटा डेटा बनाया है। हम संसद के सर्च इंजन को बेहतर बना रहे हैं, ताकि किसी भी समय कोई भी सदन की कार्यवाही को देख सकता है। किसी भी विधेयक और उस पर चर्चा को पढ़ सकता है। जबसे संसद की कार्यवाही का सीधा प्रसारण हुआ है, उसकी लाइब्रेरी बनाई है। अब तक 18000 घंटे तक की हमने लाइब्रेरी तैयार कर ली है। इस तरीके से संसद ने बहुत अच्छा काम किया है। पिछले दिनों ब्रिटेन में हमने एआई के उपयोग से सारी बहसों के डिजिटलाइजेशन करने की जानकारी दी थी।
सवाल: संसद व विधानमंडलों में व्यवधान, नारेबाजी का समाधान क्या है?

बिरला: 2 दिन के इस सम्मेलन में सभी पीठासीन अधिकारियों ने इस पर चिंता रखी है। हमने पटना से ये संकल्प लिया है कि सदन की गरिमा प्रतिष्ठा के रूप चर्चा संवाद हो और ये सदन चर्चा संवाद के केंद्र बने। ये समय देश के विकसित भारत के देखने का समय है। सरकार के एजेंडे, कार्यक्रमों, बजट प्रावधानों पर मूल्यांकन भी करना चाहिए।
सवाल: आपने कहा कि राजनीतिक दल अपने सांसदों के लिए आचार संहिता बनाए, यह कैसे संभव होगा?

बिरला: इसके लिए सभी पीठसीन अधिकारी अपने अपने राज्यों में सभी राजनीतिक दलों से चर्चा कर ये प्रयास करेंगे कि राजनीतिक दल एक आचार संहिता बनाएं ताकि उनके जनप्रतिनिधि जनता की अपेक्षा आकांक्षाओं के रूप में सदन में उच्च कोटि का व्यवहार और सार्थक चर्चा करें। कई राजनीतिक दलों ने आचार संहिता बना रखी है कि वो विरोध के दौरान वेल में नहीं आएंगे और वॉकआउट नहीं करेंगे। वो अपनी गरिमापूर्ण बात कहकर असहमति जताते हैं। ऐसे सभी राजनीतिक दलों को प्रयास करना चाहिए।
सवाल: हमने देखा है कि शीतकालीन सत्र में खासा व्यवधान रहा। आसन को टारगेट किया जा रहा है। अब बजट सत्र शुरू होने वाला है। कैसी उम्मीद कर रहे हैं?

बिरला: सदन में आसन की परंपरा रही है और उसका सभी सम्मान करते हैं। सभी राजनीतिक दलों को प्रयास करना चाहिए कि आसन को सर्वोच्च माने। बजट सत्र महत्वपूर्ण होता है। मेरी सभी राजनीतिक दलों के सांसदों से अपेक्षा है कि सदन की मर्यादा-गरिमा बनाए रखें। सहमति-असहमति कार्यक्रमों, नीतियों बजट प्रावधानों पर हो, लेकिन नियोजित गतिरोध नहीं होना चाहिए।

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