नई दिल्ली

काम के 90 घंटे ! दुनिया में ओवरटाइम से हर साल जाती है 20 लाख लोगों की जान

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक लंबे समय तक काम करने से आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव हो सकते हैं।

नई दिल्लीJan 11, 2025 / 04:58 pm

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वर्क-लाइफ बैलेंस : एलएंडटी के चेयरमैन सुब्रमण्यम के बयान पर छिड़ी देशव्यापी बहस

नई दिल्ली. लॉर्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यन (L&T Chairman SN Subrahmanyan) द्वारा सप्ताह में 90 घंटे काम करने के सुझाव के बाद वर्क-लाइफ बैलेंस (work life balance) पर बहस छिड़ी है। सुब्रमण्यन का यह तर्क भले ही उत्पादकता को लेकर था, लेकिन दुनियाभर की रिसर्च इसकी गवाही नहीं देती। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक लंबे समय तक काम करने से आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। 2021 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक ओवरटाइम के चलते दुनियाभर में हर वर्ष 20 लाख लोगों की जान चली जाती है। सुब्रमण्यन ने अपने कर्मचारियों को सप्ताह में 90 घंटे काम करने की सलाह दी थी। उन्होंने कर्मचारियों से यह तक कह दिया कि घर पर बैठकर आप क्या करते हैं? पत्नी को आप कितनी देर तक निहार सकते हैं। ऑफिस जाओ और काम शुरू करो’। उद्योगपति हर्ष गोयनका के बाद देविना मेहरा, राजीव बजाज ने भी सुब्रमण्यन के सुझाव से असहमति जताई, जबकि हैलिओस कैपिटल के समीर अरोड़ा ने समर्थन किया है। इससे पहले इन्फोसिस के सह संस्थापक नारायणमूर्ति ने युवाओं से सप्ताह में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी।
सुब्रमण्यन का वेतन कर्मचारियों से 534 गुना ज्यादा
सुब्रमण्यन के खुद रविवार को भी काम करने की बात पर यूजर्स ने बिजनेस टुडे की उस रिपोर्ट का जिक्र किया, जिसके मुताबिक उन्हें 2023-24 में करीब 51 करोड़ रुपए का वेतन मिला, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में 43.11 फीसदी की बढोतरी हुई। इसमें उनका मूल वेतन और भत्ते आदि शामिल हैं। खास बात ये है उनका वेतन उनके कर्मचारियों के औसत पैकेज की तुलना में 535 गुना ज्यादा है।
काम के घंटे बनाम उत्पादकता
सुब्रमण्यन ने काम के घंटों का अंतर बताते हुए हुए चीन और अमरीका की आर्थिक प्रगति की तुलना भी की। यहां जानते हैं क्या काम के घंटे बढ़ाने से उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है। इसमें देख सकते हैं चीन में 2169 वार्षिक काम के घंटे होने के बावजूद उत्पादकता 11.7 डॉलर प्रति घंटा है, जबकि हंगरी में 1381 काम के घंटो में ही उत्पादकता 34.8 डॉलर प्रति घंटा है।

रिसर्च क्या कहते हैं

कम उत्पादकता :
49 घंटे से ज्यादा काम करने से उत्पादकता घटती है। 55 घंटे के बाद यह गिरावट इतनी बढ़ जाती है कि इससे काम दिशाहीन हो जाता है। जो सप्ताह में 70 घंटे काम करते हैं, वे भी 55 घंटे काम करने वालों जितनी ही उत्पादकता दे पाते हैं। (स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी )
हृदय रोग की आशंका अधिक
2000 से 2016 के बीच हुए अध्ययन में सामने आया, सप्ताह में 55 घंटे या उससे ज्यादा काम करने वालों में हृदय रोग की 42 फीसदी तथा स्ट्रोक की 19 फीसदी आशंका अधिक रहती है। (विश्व स्वास्थ्य संगठन )
चोट लगने का जोखिम 61 फीसदी ज्यादा
ओवर टाइम शेड्यूल वाली नौकरियों में कर्मचारियों/ श्रमिकों को चोट लगने का जोखिम 61 फीसदी ज्यादा था। ऐसे कर्मचारियों की उत्पादकता और काम के प्रति संतुष्टि वर्क-लाइफ बैलेंस रखने वाले कर्मचारियों की तुलना में कम रहती है। (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ )

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