राजस्थान के इस सीमावर्ती जिले के तीन विधानसभा सीटें नीमच, मनासा और जावद हैं। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बावजूद किसान बाहुल्य इन क्षेत्रों की जनता नेे तीनों सीटें भाजपा (bjp) की झोली में डाली थीं। अब पांच साल में जनमानस में कोई बदलाव आया है, या लोग अब भी भाजपा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं, इसका अहसास लेने के लिए बस से इन इलाकों के लिए निकल पड़ा। मुश्किल से 10-15 मिनट में पूरी बस सवारियों से भर गई।
महिला यात्रियों की संख्या चूंकि अधिक थी, तो मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना (mukhyamantri ladli bahana yojna) का जिक्र करने का मौका मिल गया। पास बैठी महिला स्थानीय भाषा में बोली ‘योजना तो घणी हाउ है, पण परेशानी घणी है। रोज लाइणां में खड़े वेणो पड़े।’ (योजना तो अच्छी पर है, पर महिलाओं को रोज लाइनों में खड़ा होना पड़ रहा है।) मुझे समझ आ गया कि बैंक खाते से आधार व मोबाइल नंबर लिंक कराने में जो परेशानी आ रही है, वब उसीका जिक्र कर रही हैं। मैंने दूसरी महिला से भी यही सवाल किया तो तपाक से जवाब मिला ‘चुनाव नजदीक आया तो म्हारी याद आवा लगी। आंणतई हाउ वे तो अगर गैस सिलेंडर का दाम कम करिया वेता। (चुनाव आने लगे तो हमारी याद आई है। अगर सिलेंडर के दाम कर दिए होते तो राहत मिल गई होती)
और किसानों ने रख दिया हिसाब
बस ग्राम सावन में रुकी, तो वहां उतर गया। यह गांव नीमच विधानसभा क्षेत्र (neemuch vidhan sabha) में आता है। गांव में कुछ किसान मिल गए। किसान सम्मान निधि, फसल बीमा योजना आदि के बारे में बात शुरू ही की थी कि किसानों ने वर्ष 2003 से 2023 तक का पूरा हिसाब सामने रख दिया।
किसान रामलाल प्रजापति ने कहा कि हमें 2 हजार रुपए की सम्मान निधि नहीं चाहिए। देना है तो लाभकारी मूल्य 5 हजार रुपए क्विंटल कर दें। खाद की बड़ी कीमतों का विरोध हुआ तो बड़ी चतुराई से खाद के 50 किलो के कट्टे का वजन 45 कर दिया। मुफ्त का राशन बांटकर सरकार ने किसानों की मुश्किल बढ़ा दी है। किसानों को 500 रुपए में भी मजदूर नहीं मिल रहे।
किसान तुलसीराम मालवीय जवासा, रामेश्वर नागदा रेवली देवली और गोपाल जाट आमली खेड़ा ने सामूहिक तौर पर कहा कि खेती अब नुकसानी का धंधा बनती जा रही है। अफीम काश्तकार मुकेश शर्मा ने कहा अफीम में किसान को मात्र 1200 रुपए प्रति किलो का भाव दिया जा रहा है। इतने कम भाव में किसान का कैसे चलेगा। सरकार की नीति खुद किसानों को तस्कर बनने पर विवश कर रही है।
पांच साल में भी नहीं बन सकी सड़क
अगली बस पकड़ कर मनासा विधानसभा क्षेत्र (manasa vidhan sabha) के ग्राम भाटखेड़ी पहुंचा, तो किसान जगदीश उपाध्याय, सत्यनारायण पोगरा, दिलीप सुथार और जुगलकिशोर पाटीदार ने सड़क न होने का रोना रोया। उन्होंने कहा कि बारिश के दिनों में अन्नदाता खेत से खलिहान तक सिर पर बोरी ढोने को मजबूर हो जाता है। पिछले चुनाव में वादा किया था। पांच साल में सड़क तो दूर मुर्रम तक नहीं डली। भाटखेड़ी से अल्हेड़ तक की मात्र 3 किलोमीटर सड़क बन जाए तो करीब 700 किसानों को सीधे लाभ मिलने लगेगा।
यहां से बाइक लेकर जावद विधानसभा क्षेत्र (jawad vidhan sabha) के सरवानिया महाराज, मोरवन, डीकेन, लासूर, दड़ौली और रामनगर में लोगों के हालचाल जाने। भेरूलाल खाती सरवानिया महाराज, प्रहलाद सेन दड़ौली, बबलू गोदावत डीकेन, दीपक नागदा सरवानिया महाराज, विक्रम शर्मा मोरवन, गोपाल धाकड़ रामनगर सभी ने कोई न कोई परेशानी गिनाई। उन्होंने कहा कि सरकार को मुफ्त बिजली, पानी, राशन जैसी रेवड़ी बांटने वाली योजनाएं बंद कर देनी चाहिए।