इस मामले में जिम्मेदारों ने गोलमोल जवाब देते हुए आगजनी की संभावित घटना को लेकर पुतलों की आग बुझाने की बात कही है, जबकि दशहरा मैदान में दशकों से रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों का दहन होता आ रहा है और अब तक कभी भी आगजनी की कोई घटना सामने नहीं आई है। बावजूद इसके रावण मेघनाथ व कुम्भकरण के जलते पुतलों पर पानी डाल कर आग बुझाई गई है।
पुतलों की आग बुझाने आई फायर ब्रिगेड
परम्परा के अनुसार, दशहरे को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दिवस माना जाता है, इसी के चलते इस दिन रावण, मेघनाथ और कुम्भकरण के पुतले का दहन किया जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पुतलों के जलने के बाद दहन देखने आए लोग उसकी राख शुभ मानते हुए अपने साथ रखककर घर ले जाते हैं। इस राख को साल भर लाल कपड़े में बांधकर लोग अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और घरों में रखते हैं। इसे सालभर रखने के बाद अगले रावण दहन तक रखते हैं। नई राख मिलने पर पुरानी वाली को जल में विसर्जित कर देते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से घर-दुकान में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नही होता। लेकिन, शनिवार को हुए रावण दहन के बाद लोगों को उसकी राख भी नसीब नहीं हो सकी। यह भी पढ़ें- रावण दहन देखने गए शख्स को आया हार्ट अटैक, मसीहा बनकर पुलिस जवान ने बचाई जान, देखें Video