बापू की जयंती के मौके पर शनिवार को लेह ( Leh ) में हाथ से बना खादी ( Khadi ) का सबसे बड़ा तिरंगा झंडा फहराया गया। इस तिरंगे को लेह की जनस्कार पहाड़ी ( Zanskar Valley ) पर लगाया गया।
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Gandhi Jayanti 2021: राष्ट्रपति, पीएम मोदी से लेकर दिग्गजों ने दी बापू को श्रद्धांजलि, राहुल बोले- विजय के लिए एक सत्याग्रही ही काफी तिरंगे की खासियतलेह की जनस्कार पहाड़ी पर फहराए गया तिरंगा अपने आप में कुछ खास है।
– 1400 किलो ग्राम इस तिरंगे का वजन है
– 225 फीट इसकी लंबाई और चौड़ाई 125 फीट है
– 4500 मीटर खादी के कपड़े का इस्तेमाल इस तिरंगे को बनाने के लिए किया गया है
– 37,500 वर्ग फुट के क्षेत्र को कवर करता है ये तिरंगा
– 70 कारीगरों को 49 दिन राष्ट्रीय ध्वज को तैयार करने में लगे हैं
ये झंडा खादी विकास बोर्ड और मुंबई की एक प्रिंटिंग कम्पनी के सहयोग से बनाया गया। खादी से बने इस तिरंगे का अनावरण सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे और लद्दाख के लेफ्टिनेंट गवर्नर आर के माथुर ने किया।
ये झंडा 8 अक्टूबर को एयरफोर्स डे पर हिंडन ले जाया जाएगा।
मुंबई की कंपनी केवीआईसी ने दुनिया का ये सबसे बड़ा खादी का राष्ट्रीय ध्वज तैयार किया है। केवीआईसी ने “आजादी का अमृत महोत्सव” के हिस्से के रूप में इस राष्ट्रीय ध्वज की अवधारणा को तैयार किया।
ध्वज को सुरक्षाबलों ने देश भर के ऐतिहासिक स्मारकों और रणनीतिक स्थानों पर प्रदर्शित करने की योजना बनाई है। तिरंगे को संभालने और प्रदर्शित करने के लिए ध्वज को भारतीय सेना को सौंपा गया था।
बता दें कि जांस्कर कारगिल जिले की एक तहसील है जो कि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में मौजूद है और कारगिल से 250 किलोमीटर दूर NH 301 पर है। ये घाटी लद्दाख से करीब 105 किलोमीटर दूर है। वहीं जांस्कर रेंज लद्दाख की एक पर्वत श्रृंखला है।
जांस्कर रेंज की औसत ऊंचाई लगभग 6,000 मीटर (19,700 फीट) है. इसका पूर्वी भाग रूपशु के नाम से जाना जाता है। ये हिमालय का हिस्सा भी है।
यह भी पढ़ेंः Uttarakhand: माउंट त्रिशूल फतह करने गया नौसेना का दल एवलॉन्च की चपेट में आया, पांच लोग लापता लद्दाख दौरे पर हैंआर्मी चीफ आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे शुक्रवार को दो दिन के पूर्वी लद्दाख दौरे पर पहुंचे। यहां उन्होंने मौजूदा सुरक्षा स्थिति और संचालन संबंधी तैयारियों के बारे में जानकारी ली। यही नहीं आर्मी चीफ ने सेना के जवानों से भी संवाद किया और उनका उत्साहवर्धन किया।
आर्मी चीफ की ये यात्रा काफी अहम मानी जा रही है। दरअसल, पिछले साल मई से भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद चल रहा है। यह कई दौर की बातचीत के बाद भी अभी पूरी तरह से निपटा नहीं है।