नारी शक्ति की मिसाल पेश करने से चूके दल
नारी शक्ति अधिनियम (महिला आरक्षण विधेयक पारित) की पालना देश में लोकसभा सीटों के नए परिसीमन के बाद होनी है। और इसका फायदा अगले यानी 2029 के चुनाव में दिखेगा। हालांकि राजनीतिक दल चाहते तो 2024 के इस चुनाव में महिलाओं को 33 प्रतिशत से अधिक टिकट देकर लैंगिक समानता के लिए मिसाल पेश कर सकते थे, लेकिन वे यह मौका चूक गए। ऐसे में इस बार के सदन में भी लैंगिक समानता की तस्वीर नहीं दिखेगी।
लोकसभा में महिला शक्ति प्रतिनिधित्व : प्रतिशत (महिला सांसद)-
-1952 में 4.41 प्रतिशत (22)(पहली लोकसभा)
-1957 में 5.46 प्रतिशत (22)
-1962 में 6.28 प्रतिशत (31)
-1967 में 5.58 प्रतिशत (29 )
-1971 में 4.22 प्रतिशत (21) (भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी)
-1977 में 3.21 प्रतिशत (19 )
-1980 में 5.17 प्रतिशत (28 )
-1984 में 8.17 प्रतिशत (42 )
-1989 में 5.48 प्रतिशत (29 )
-1991 में 7.06 प्रतिशत (37 )
-1996 में 7.37 प्रतिशत (40 )
-1998 में 7.92 प्रतिशत (43 )
-1999 में 9.02 प्रतिशत (49 )
-2004 में 8.29 प्रतिशत (45 )
-2009 में 10.68 प्रतिशत (59)
-2014 में 11.42 प्रतिशत (62)
-2019 में 14.36 प्रतिशत (78)
-2024 में 13.63 प्रतिशत (74)
अन्य देशों की स्थिति
यूके- 35 प्रतिशत
यूएस- 29 प्रतिशत
दक्षिण अफ्रीका- 46 प्रतिशत
दलों से निर्वाचित महिला सांसद
भाजपा- 31
कांग्रेस- 13
टीएमसी- 11
सपा-5
डीएमके-3
एलजेपी(आरवी)-2
जेडी (यू)- 2
अन्य- 7