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Women Reservation: संसद में घटा महिला प्रतिनिधित्व, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में कब मिलेगा ‘आधी आबादी’ को पूरा हक?

women empowerment in Lok Sabha Elections: आजादी के 76 साल के बाद भी देश की सबसे बड़ी पंचायत में ‘आधी आबादी’ को पूरा हक नहीं मिल पाया है। लोकसभा में महिलाओं की 33% भागीदारी का सपना अभी भी अधूरा है। पढ़िए कानाराम मुंडियार की विशेष रिपोर्ट…

नई दिल्लीJun 07, 2024 / 04:23 pm

Akash Sharma

Women Empowerment in Lok Sabha Elections: आजादी के 76 साल के बाद भी देश की सबसे बड़ी पंचायत में ‘आधी आबादी’ को पूरा हक नहीं मिल पाया है। हाल ही में 18वीं लोकसभा के लिए भी चुनाव संपन्न हुए, जिनमें नारी शक्ति (Women Power) की भागीदारी का आंकड़ा 13.63 प्रतिशत तक ही पहुंच पाया है। जबकि अब तक विभिन्न दलों से केंद्र की सरकार में विभिन्न मंत्री पद ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति पद पर भी महिलाएं जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं। इस चुनाव में 74 महिला सांसद चुनी गई हैं, जिनमें 43 नए चेहरे हैं, जो पहली बार निचले सदन यानी लोकसभा में अपनी भागीदारी निभाएंगे।
पिछले चुनाव से इस बार 4 महिला कम निर्वाचित हुई हैं, पर देश के पहले आम चुनाव 1952 की तुलना में 52 महिला ज्यादा लोकसभा पहुंची हैं। फिर भी निचले सदन की कुल 543 सीटों की संख्या के लिहाज से इस बार निर्वाचित संख्या से महिलाओं की 13.63% भागीदारी ही सुनिश्चित करती है। यह आंकड़ा महिलाओं की 33 प्रतिशत हिस्सेदारी से काफी दूर है। पिछले कुछ सालों में लोकसभा में लैंगिक संरचना बढ़ाने के लिए प्रभावी प्रयास नहीं किए गए, इसलिए महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ने की गति धीमी रही। इससे इतर खुशी इस बात की है कि अब तक के हर चुनाव में महिला उम्मीदवारों व निर्वाचन की संख्या बढ़ी है। वर्ष 2024 का चुनाव ऐसे समय पर हुआ जब देश की संसद में नारी शक्ति अधिनियम (Women Reservation Bill passed) कर दिया गया। इससे उम्मीद तो जगी है कि आने वाले वर्षों में राजनीति के हर स्तर पर महिलाओं की 33 प्रतिशत की भागीदारी सुनिश्चित होगी।


नारी शक्ति की मिसाल पेश करने से चूके दल


नारी शक्ति अधिनियम (महिला आरक्षण विधेयक पारित) की पालना देश में लोकसभा सीटों के नए परिसीमन के बाद होनी है। और इसका फायदा अगले यानी 2029 के चुनाव में दिखेगा। हालांकि राजनीतिक दल चाहते तो 2024 के इस चुनाव में महिलाओं को 33 प्रतिशत से अधिक टिकट देकर लैंगिक समानता के लिए मिसाल पेश कर सकते थे, लेकिन वे यह मौका चूक गए। ऐसे में इस बार के सदन में भी लैंगिक समानता की तस्वीर नहीं दिखेगी।


लोकसभा में महिला शक्ति प्रतिनिधित्व : प्रतिशत (महिला सांसद)-


-1952 में 4.41 प्रतिशत (22)(पहली लोकसभा)
-1957 में 5.46 प्रतिशत (22)
-1962 में 6.28 प्रतिशत (31)
-1967 में 5.58 प्रतिशत (29 )
-1971 में 4.22 प्रतिशत (21) (भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी)
-1977 में 3.21 प्रतिशत (19 )
-1980 में 5.17 प्रतिशत (28 )
-1984 में 8.17 प्रतिशत (42 )
-1989 में 5.48 प्रतिशत (29 )
-1991 में 7.06 प्रतिशत (37 )
-1996 में 7.37 प्रतिशत (40 )
-1998 में 7.92 प्रतिशत (43 )
-1999 में 9.02 प्रतिशत (49 )
-2004 में 8.29 प्रतिशत (45 )
-2009 में 10.68 प्रतिशत (59)
-2014 में 11.42 प्रतिशत (62)
-2019 में 14.36 प्रतिशत (78)
-2024 में 13.63 प्रतिशत (74)


अन्य देशों की स्थिति


यूके- 35 प्रतिशत
यूएस- 29 प्रतिशत
दक्षिण अफ्रीका- 46 प्रतिशत


दलों से निर्वाचित महिला सांसद


भाजपा- 31
कांग्रेस- 13
टीएमसी- 11
सपा-5
डीएमके-3
एलजेपी(आरवी)-2
जेडी (यू)- 2
अन्य- 7

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