1979 में उल्फा का हुआ था गठन
यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) असम में एक्टिव एक प्रमुख आतंकवादी और उग्रवादी संगठन है। इसका गठन 7 अप्रैल, 1979 में हुआ था। परेश बरुआ ने अपने साथी अरबिंद राजखोवा, गोलाप बरुआ उर्फ अनुप चेतिया, समीरन गोगोई उर्फ प्रदीप गोगोई और भद्रेश्वर गोहेन के साथ मिलकर इसका गठन किया था। इसको बनाने के पीछे सशस्त्र संघर्ष के जरिए असम को एक स्वायत्त और संप्रभु राज्य बनाना चाहते थे।
1990 में केंद्र ने लगाया था प्रतिबंध
साल 1979 से अब तक 10,000 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। उल्फा शुरू से ही विध्वंसक गतिविधियों में शामिल रहा है। साल 1990 में केंद्र सरकार ने इसपर प्रतिबंध लगाया और फिर सैन्य अभियान शुरू किया। 31 दिसंबर, 1991 में उल्फा कमांडर-इन-चीफ हीरक ज्योति महंल की मौत हो गई थी। इसके बाद उल्फा के 9 हजार सदस्यों ने आत्मसमर्पण किया था।
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2008 में एक साथ किए थे 13 ब्लास्ट
साल 2008 में उल्फा के नेता अरबिंद राजखोवा को बांग्लादेश से गिरफ्तर किया था। बांग्लादेश ने फिर अरबिंद को भारत को सौंप दिया था। इस दौरान राजखोवा ने शांति समझौते की बात की थी उस समय उल्फा दो हिस्सों में बंट गया था। अब तक उल्फा ने कई बड़े वारदात को अंजाम दिया था। इस वर्ष उल्फा ने एक साथ 13 ब्लास्ट किया था।