सवाल है कि आखिर गैस के रेट हर राज्यों में अलग अलग क्यों होते हैं। वैसे तो एलपीजी सिलेंडर जीएससी के अंडर आते है, फिर भी हर राज्य में इनकी कीमतें अलग अलग हैं। आई आपको बताते हैं एलपीजी प्राइज से जुड़ी हर एक बात, और बताते हैं कि सरकार को एक सिलेंडर में से कितने रुपये मिलते है।
एक सिलेंडर पर कितना टैक्स लगता है:
एक एलपीजी सिलेंडर में टैक्स की बात करें तो इसमे पेट्रोल-डीजल से अलग व्यवस्था है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार अलग अलग टैक्स नहीं लगाती है। यह जीएसटी के अधीन होता है और इसमें पूरे देश में एक ही टैक्स लगता है और वो सरकार को मिलता है। सरकार ने रसोई गैस को 5 फीसदी वाले स्लैब में शामिल किया है, जिसमें 2.5 फीसदी टैक्स केंद्र सरकार और 2.5 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार को मिलता है।
कई जगह ये बात कही जाती है कि सिलेंडर की कीमत का 55 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार टैक्स के रूप में लेती है। लेकिन ऐसा नहीं है, सरकार की ओर से सिर्फ 5 फीसदी टैक्स लिया जाता है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार आपस में आधा आधा बांट लेते हैं।
एक सिलेंडर पर कितना टैक्स लगता है:
एक एलपीजी सिलेंडर में टैक्स की बात करें तो इसमे पेट्रोल-डीजल से अलग व्यवस्था है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार अलग अलग टैक्स नहीं लगाती है। यह जीएसटी के अधीन होता है और इसमें पूरे देश में एक ही टैक्स लगता है और वो सरकार को मिलता है। सरकार ने रसोई गैस को 5 फीसदी वाले स्लैब में शामिल किया है, जिसमें 2.5 फीसदी टैक्स केंद्र सरकार और 2.5 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार को मिलता है।
कई जगह ये बात कही जाती है कि सिलेंडर की कीमत का 55 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार टैक्स के रूप में लेती है। लेकिन ऐसा नहीं है, सरकार की ओर से सिर्फ 5 फीसदी टैक्स लिया जाता है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार आपस में आधा आधा बांट लेते हैं।
सिलेंडर की रेट में ऐसे होता है बटवारा:
बता दें कि 14.2 किलो LPG सिलेंडर पर बेसिक रेट में डिस्ट्रीब्यूशन कमीशन, इस्टैब्लिशमेंट चार्ज, डिलवरी चार्ज शामिल होते हैं और उसके बाद टैक्स भी होता है। लेकिन, टैक्स की रेट हर राज्य में एक ही होती है और 5 फीसदी के आधार पर ही टैक्स लिया जाता है।
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बता दें कि 14.2 किलो LPG सिलेंडर पर बेसिक रेट में डिस्ट्रीब्यूशन कमीशन, इस्टैब्लिशमेंट चार्ज, डिलवरी चार्ज शामिल होते हैं और उसके बाद टैक्स भी होता है। लेकिन, टैक्स की रेट हर राज्य में एक ही होती है और 5 फीसदी के आधार पर ही टैक्स लिया जाता है।
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इसलिए होती हैं अलग अलग कीमतें:
अब बताते हैं कि आखिर हर राज्य में अलग-अलग रेट क्यों होती है। दरअसल, हर राज्य में कमीशन और इस्टैब्लिशमेंट चार्ज अलग अलग होते हैं, जो वहां की ज्योग्राफी आदि पर निर्भर करते हैं। इसके आधार पर ही इस्टैब्लिशमेंट चार्ज तय होते हैं, जैसे कहीं ट्रांसपोर्ट चार्ज ज्यादा है तो वहां ये चार्ज ज्यादा होंगे। यह चार्ज हर राज्य के आधार पर होते हैं और इसके आधार पर ही सिलेंडर के रेट हर राज्य में अलग अलग होते हैं।
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अब बताते हैं कि आखिर हर राज्य में अलग-अलग रेट क्यों होती है। दरअसल, हर राज्य में कमीशन और इस्टैब्लिशमेंट चार्ज अलग अलग होते हैं, जो वहां की ज्योग्राफी आदि पर निर्भर करते हैं। इसके आधार पर ही इस्टैब्लिशमेंट चार्ज तय होते हैं, जैसे कहीं ट्रांसपोर्ट चार्ज ज्यादा है तो वहां ये चार्ज ज्यादा होंगे। यह चार्ज हर राज्य के आधार पर होते हैं और इसके आधार पर ही सिलेंडर के रेट हर राज्य में अलग अलग होते हैं।
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