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दिल्ली-केद्र विवाद: कौन कंट्रोल करेगा दिल्ली प्रशासन, सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच चल रहा प्रशासन को नियंत्रित करने के मामले में देश की सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। दरअसल दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं को कौन नियंत्रित करे और इस मुद्दे को 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजा जाए या नहीं इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रखा है।

Apr 28, 2022 / 02:19 pm

धीरज शर्मा

Who Will Control Administration Of Delhi Supreme Court Reserves Decision

Who Will Control Administration Of Delhi Supreme Court Reserves Decision

दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार में दिल्ली पर कंट्रोल को लेकर चल रही रस्साकशी के मामले में बड़ी खबर सामने आई है। अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का मसला संविधान पीठ को सौंपने पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है। दरअसल सिविल सर्विसेज पर नियंत्रण को लेकर दिल्ली सरकार ने केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की की थी। दिल्ली सरकार अधिकारियों पर पूर्ण नियंत्रण की मांग कर रही है। वहीं इस याचिका पर सुनवाई करते हुए देश की शीर्ष अदालत ने संकेत दिया कि मामला 5 जजों की बेंच को भेजा जाता है तो भी सुनवाई 15 मई तक पूरा करने की कोशिश की जाएगी।
इससे पहले दिल्ली सरकार बनाम सेंट्रल गवर्नमेंट की लड़ाई पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग पर उसका नियंत्रण होना चाहिए, क्योंकि दिल्ली देश की राजधानी है और पूरी दुनिया भारत को दिल्ली की नजर से ही देखती है।
केंद्र के रुख पर दिल्ली सरकार की आपत्ति
एक तरफ केंद्र ने अधिकारियों के नियंत्रण पर अपना अधिकार बताया तो दूसरी तरफ केंद्र के रुख को लेकर दिल्ली सरकार ने आपत्ति जताई। दिल्ली सरकार ने कहा, जब प्रदेश की कमान हमारे हाथ में तो अधिकारियों के तबादले आदि नियंत्रण भी हमारे ही हक में होना चाहिए।

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सॉलिसिटर जनरल ने केंद्र की ओर से दिए ये तर्क
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 239 AA की व्याख्या करते हुए बालकृष्णन समिति की रिपोर्ट का भी जिक्र किया।
– ‘चूंकि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है, इसलिए यह आवश्यक है कि केंद्र के पास लोक सेवकों की नियुक्तियों और तबादलों का अधिकार हो।
– दिल्ली, भारत का चेहरा है
– दिल्ली क्लास सी राज्य है. दुनिया के लिए दिल्ली को देखना यानी भारत को देखना है।
– केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस मामले को 5 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ को भेजा जाना चाहिए।
अभिषेक मनु सिंघवी ने रखा दिल्ली सरकार का पक्ष
उधऱ…दिल्ली सरकार की ओर सेस केंद्र की पांच न्यायधीशों की संवैधानिक पीठ को मामला भेजे जाने का भी कड़ा विरोध किया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सर्वोच्च न्यायालय में दिल्ली सरकार का पक्ष रखा।
– ‘केंद्र के सुझाव के मुताबिक मामले को बड़ी पीठ को भेजने की जरूरत नहीं है।
– बालकृष्णन समिति की रिपोर्ट पर चर्चा करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसे खारिज कर दिया गया था।

बता दें कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार केंद्र पर राजधानी के प्रशासन को नियंत्रित करने और लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार के फैसलों में उपराज्यपाल के माध्यम से अवरोध पैदा करने के आरोप लगाती रही है।

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