कैसे हुआ निहंग नामकरण?
निहंग फारसी का एक शब्द है और जिसका अर्थ मगरमच्छ, कमल और तलवार होता है। हालांकि निहंग के व्यवहार को देखने से यह संस्कृत के शब्द निशंक के ज्यादा करीब मालूम पड़ता है। निशंक का मतलब निडर, अभय, निर्भय होता है। वैसे यह बताया जाता है कि सिखों की सेना को निहंग मुगलों ने दिया था। दरअसल, मुगलों का ऐसा नाम देने के पीछे यह तर्क था कि जिस तरह मगरमच्छों को पानी के अंदर हराना मुश्किल होता है, उसी तरह निहंग सिखों को युद्ध में पराजित करना बहुत मुश्किल काम होता है।
गुरु गोविंद सिंह को जाता है श्रेय
इतिहास के पन्नों में दर्ज निहंग सिखों के बारे दी गई जानकारी के अनुसार सिखों की निहंग सेना तैयार का श्रेय गुरु गोविंद सिंह को जाता है। गुरु गोविंद सिंह सिखों के दसवें गुरु थे। उनके चार बेटे थे- अजित सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह। फतेह सिंह सबसे छोटे थे इस नाते उन्हें युद्ध कला की ट्रेनिंग नहीं दी जा रही थी। एक दिन जब फतेह सिंह तीनों भाइयों को युद्ध का अभ्यास करते देखा तो उन्होंने भी युद्ध कौशल सीखने में दिलचस्पी दिखाई। लेकिन बड़े भाइयों ने उन्हें उम्र का हवाला देकर बड़े होकर सीखने की बात कह दी। इसपर वे अपने भाइयों से थोड़े नाराज हो गए।
फतेह सिंह की जिद से तैयार हुई निहंग सेना
यह सच कहा जाता है कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। फतेह सिंह ने अब युद्ध कला सीखने की ठान ली और नीले रंग का लिबास धारण कर ली। एक बड़ी सी पगड़ी पहनी और दोनों हाथों में तलवार और भाला लेकर पहुंच गए। इस घटना को चुपचाप गुरु गोविंद सिंह देख रहे थे। गुरु गोविंद सिंह ने अब अपने चारों बेटों को युद्ध कला में प्रवीण बनाया। फतेह सिंह का वह नीला लिबास निहंग सिखों के लिए अनिवार्य हो गया। निहंग अपने धर्म की रक्षा के लिए हर समय तैयार रहते हैं। उन्हें मानवता को बचाने की ट्रेनिंग दी जाती है। ये अपने धर्म में लिखी हुई सारी बातों का पालन जीवन भर करते हैं।
पिछली बार कब चर्चा में आए निहंग सिख
निहंग सिख पिछली बार 2020 के अप्रैल में लॉकडाउन के दौरान चर्चा में आए थ। उन्होंने एक पुलिस अधिकारी का हाथ काट डाला था। इस घटना के बाद कई 9 निहंग सिखों की गिरफ्तारी हुई थी। यह घटना पंजाब के पटियाला की सनोर रोड सब्ज़ी मंडी में घटी थी।
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