देश के बड़े शराब कारोबारी और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू के ठिकानों से अब तक 300 करोड़ से ज्यादा का कैश बरामद हो चुका है। ये देश की अब तक की सबसे बड़ी छापेमारी मानी जा रही है, जहां किसी एक आदमी के पास से इतना कैश बरामद हुआ हो। धीरज साहू के मामले पर एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर भारतीय जनता पार्टी लगातार हमलावर है। वहीं, कांग्रेस ने पहले तीन दिन तो पूरी तरह से चुप्पी साधे रखी फिर सीधे उनसे किनारा ही कर लिया। लेकिन अभी बहुत सारे लोग ये नहीं जानते कि आखिर धीरज साहू कौन हैं?
कौन हैं धीरज प्रसाद साहू?
राज्य सभा की वेबसाइट के अनुसार 23 नवंबर 1955 को रांची में जन्मे धीरज प्रसाद साहू के पिता का नाम राय साहब बलदेव साहू है और मां का नाम सुशीला देवी है। वो तीन बार से राज्यसभा के सांसद हैं। वो 2009 में राज्यसभा सांसद बने थे। जुलाई 2010 में वो एक बार फिर झारखंड से राज्य सभा के लिए चुने गए। तीसरी बार वो मई 2018 में राज्य सभा के लिए चुने गए। धीरज प्रसाद की अपनी वेबसाइट के अनुसार वो एक व्यापारी परिवार से ताल्लुक रखते हैं।
उनके पिता राय साहब बलदेव साहू अविभाजित बिहार के छोटानागपुर से थे और उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में हिस्सा लिया था। देश के आज़ाद होने के वक्त से ही उनका परिवार कांग्रेस के साथ जुड़ा रहा है। उन्होंने खुद 1977 में राजनीति में कदम रखा। उनके भाई शिव प्रसाद साहू रांची से दो बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा सांसद रहे। उन्होंने रांची के मारवाड़ी कॉलेज से बीए तक की पढ़ाई की है और झारखंड के लोहरदगा में रहते हैं। 2018 में राज्य सभा के लिए चुने जाने की प्रक्रिया में धीरज साहू ने जो हलफ़नामा दायर किया था इसमें उन्होंने अपनी संपत्ति 34.83 करोड़ बताई थी. उन्होंने 2.04 करोड़ चल संपत्ति होने का दावा भी किया था। हलफ़नामे के अनुसार उनके ख़िलाफ़ कोई आपराधिक मामला नहीं था। हलफ़नामे के अनुसार उनके पास एक रेंज रोवर, एक फॉर्च्यूनर, एक बीएमडब्ल्यू और एक पाजेरो कार है।
चुनाव हारने पर कांग्रेस ने बना दिया राज्यसभा सांसद
धीरज साहू साल 1978 में रांची यूनिवर्सिटी में पढ़ने के दौरान NSUI से जुड़ गए। धीरे-धीरे उनका जिले के कांग्रेस कमिटी में दबदबा बढ़ता गया। इसके बाद उन्होंने झारखंड में कांग्रेस को बढ़ाने के लिए काम करना शुरु किया और पार्टी आलाकमान के करीबी हो गए। वह कांग्रेस के लिए कितनी अहमियत रखते हैं इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मई 2009 के लोकसभा चुनाव में झारखंड की चतरा सीट से हार गए।
इसके बाद भी पार्टी ने उनका साथ नहीं छोड़ा और चुनाव हारने के एक महीने बाद ही जून में उन्हें राज्यसभा सांसद बना दिया और अब वह पिछले 14 बरसों से राज्यसभा में कांग्रेस सांसद हैं। भले ही कांग्रेस आज साहू से दूरी बना रही हो मगर पार्टी के लिए वह कभी बहुत खास हुआ करते थे।
लगातार मौका दे रही है पार्टी
राज्यसभा सांसद के तौर पर धीरज साहू का यह तीसरा कार्यकाल है। कांग्रेस ने 2014 में साहू को दोबारा चतरा सीट से लोकसभा टिकट दिया था, जबकि वह उच्च सदन के सदस्य पहले से थे। इस चुनाव में उन्हें बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। बमुश्किल ही वह अपनी जमानत बचा पाए। झारखंड के लोहरदगा जिले से साहू कांग्रेस के लिए कभी लोकसभा या विधानसभा चुनाव नहीं जीता सके। इसके बावजूद, वह पार्टी आलाकमान के लिए राज्यसभा में भरोसेमंद चेहरा रहे।
कांग्रेस ने पल्ला झाड़ा
वहीं, इस पूरे विवाद से कांग्रेस ने पल्ला झाड़ लिया है। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, “ सांसद धीरज साहू के बिजनेस से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का कोई लेना-देना नहीं है। सिर्फ़ वही बता सकते हैं, और उन्हें यह स्पष्ट करना भी चाहिए, कि कैसे आयकर अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर उनके ठिकानों से इतनी बड़ी मात्रा में कैश बरामद किया जा रहा है।”