बिहार की राजनीती के जानकारों का कहना है कि इसका सीधा जवाब यह है कि बिहार में महागठबंधन के पास राजपूत जाति का कोई बड़ा चेहरा नहीं है। राजद के बारे में 90 के दशक से यह धारणा बन चुकी है कि यह पार्टी फॉरवर्ड को देखना नहीं चाहती है।
वहीं नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के पास भी लंबे समय से कोई बड़ा राजपूत चेहरा नहीं है। ऐसे में इस बाहुबली को जेल से निकालकर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने राजपूत समाज को अपने पक्ष में लाने के लिए बड़ा दांव चला है। लेकिन यह दांव कितना सफल हो पाता है यह देखना दिलचस्प होगा।
बिहार : IAS की हत्या का दोषी बाहुबली आनंद मोहन सहरसा जेल से सुबह 4.30 बजे रिहा,
रिहाई पर बवाल के पीछे क्या है मुख्य कारण
90 के दशक में जब बिहार में चोरी, डकैती, लूटपाट, अपहरण, रेप ये सब काफी आम हो गया था। हर जिला, हर कस्बा, हर गांव से एक बाहुबली निकल रहा था। यह उसी समय की बात है जब 1994 में मुजफ्फरपुर में एक बाहुबली की हत्या हो गई थी, तो आनंद मोहन ने अपने समर्थकों के साथ वहां काफी भीड़ इकट्ठा कर ली और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।
ठीक उसी समय गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया, मुजफ्फरपुर के भगवानपुर से गुजर रहे थे। उनके कार पर लाल बत्ती लगी थी। जिसे देख भीड़ उग्र हो गई और उनके कार पर हमला बोल दिया। जिससे उनकी मृत्यु हो गई।
7 घंटे तक डीएम की लाश रोड पर पड़ी रही, लेकिन पुलिस वाले आनंद मोहन के डर से उनकी लाश हटाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। बाद में जब बड़ी संख्या में बाहर से पुलिसवाले मंगाए गए तब जाकर उनकी लाश वहां से हटी। इसी हत्या में दोषी पाए जाने पर पहले डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से आनंद मोहन को फांसी की सजा मिली। फिर हाई कोर्ट ने इसे उम्रकैद में बदल दिया।
इन्हीं को बाहर निकालने के लिए बिहार सरकार ने जेल नियमावली 2012 में संशोधन कर दिया है। इस नियमावली में 5 श्रेणी के कैदियों को उम्र कैद की सजा में 20 वर्ष से पहले कोई रियायत नहीं दिए जाने का प्रावधान था। इसमें लोक सेवकों की हत्या भी शामिल था। लेकिन बिहार सरकार यानी नीतीश कुमार ने आनंद मोहन को निकालने के लिए नियम में संशोधन कर कर लोक सेवकों की हत्या को श्रेणी से हटा दिया है और इसी का फायदा आनंद मोहन को मिला है।
आनंद मोहन के निकलने से किसको क्या फायेदा होगा आनंद मोहन जेल से रिहा होने के कुछ साल तक चुनाव तो नहीं लड़ पाएंगे, लेकिन अगर वह राजनीति में अपनी सक्रियता दिखाते हैं तो इससे उनकी पत्नी लवली और बेटे चेतन को लाभ मिलना तय है। साथ में इन क्षेत्रों में महागठबंधन को भी कुछ फायदा होने की उम्मीद है। अभी आनंद मोहन की पत्नी और बेटा दोनों आरजेडी में शामिल है। ऐसे में यह भी कयास लगाया जा रहा है कि आनंद मोहन भी इन्हीं दोनों पार्टियों में से किसी एक में शामिल हो सकते हैं।