AIG अस्पताल के चैयरमैन बोले:
AIG (अग्रणी गैस्ट्रोएंटरोलॉजी अस्पताल) अस्पताल के चैयरमैन डॉ नागेश्वर रेड्डी ने बताया कि भारत में हुई इस रिसर्च का उद्देश्य लोगों को वैक्सीन के बाद मिली इम्यूनिटी के असर को जानना था। इसके साथ ही यह पता लगाना था कि किस आयुवर्ग में बूस्टर डोज की ज्यादा जरूरत है। उन्होंने बताया कि रिसर्च में लोगों की एंटीबॉडी लेवल की जांच की गई। कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी का स्तर कम से कम 100 एयू प्रति एमएल होना चाहिए। इससे कम होने पर संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होगा।
AIG (अग्रणी गैस्ट्रोएंटरोलॉजी अस्पताल) अस्पताल के चैयरमैन डॉ नागेश्वर रेड्डी ने बताया कि भारत में हुई इस रिसर्च का उद्देश्य लोगों को वैक्सीन के बाद मिली इम्यूनिटी के असर को जानना था। इसके साथ ही यह पता लगाना था कि किस आयुवर्ग में बूस्टर डोज की ज्यादा जरूरत है। उन्होंने बताया कि रिसर्च में लोगों की एंटीबॉडी लेवल की जांच की गई। कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी का स्तर कम से कम 100 एयू प्रति एमएल होना चाहिए। इससे कम होने पर संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होगा।
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हाइपर टेशन और डायबिटीज वाले मरीजों की इम्यूनिटी कमजोर:डॉ नागेश्वर रेड्डी ने बताया कि इम्यूनिटी का स्तर कम से कम 100 एयू प्रति एमएल होना चाहिए। लेकिन जिनमें इसका स्तर 15 तक पहुंच गया हो, उसमें मानना होगा कि इम्यूनिटी खत्म हो गई है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसा पाया गया है कि हाइपर टेशन और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे 40 साल से ऊपर के लोगों की इम्यूनिटी कमजोर हो गई है।
करीब 6 प्रतिशत ऐसे भी थे, इनमें इम्यूनिटी का स्तर न्यूनतम स्तर पर था। बुजुर्गों की तुलना में युवाओं में लंबे समय तक इम्यूनिटी बनी रहती है। गंभीर रोगों से जूझ रहे 40 साल से अधिक आयु वाले मरीजों में यह एंटीबॉडी 6 महीने में कम हो जाती है।