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क्या है नॉर्थ-साउथ डिवाइड? जिसके चलते उत्तर में बढ़ें तो दक्षिण में घट गए दूध के दाम

स्किम्ड मिल्क पाउडर की कीमतें घटीं, 2 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी दूध की कीमतों में की अमूल, मदर डेयरी और नंदिनी ने पिछले महीने

नई दिल्लीJul 03, 2024 / 09:05 am

Anish Shekhar

वर्ष 2024 का आम चुनाव समाप्त होने के बाद जून में अमूल, मदर डेयरी और नंदिनी ने दूध की कीमतों में प्रति लीटर 2 रुपए की बढ़ोतरी की। दूध की कीमतों में यह हालिया बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई है जब भारत में दूध की सप्लाई में कोई कमी नहीं है। चारे की कीमतें भी स्थिर हैं। दूध उत्पादन के लिहाज से वर्ष 2023-24 का समय सबसे अच्छा रहा है। 2023-24 में लगभग 241-242 मिलियन टन है दूध के उत्पादन का अनुमान है जो 2022-23 में 231 मिलियन टन और 2021-22 में 221 मिलियन टन था। इसके बावजूद 15 माह बाद सहकारी डेयरियों ने कीमतों में इजाफा किया है।

क्यों बढ़ रही दूध की कीमतें

अभी भारत में करीब 200,000 टन स्किम्ड मिल्क पाउडर(एसएमपी) का स्टॉक है, जबकि आदर्श स्थिति में जून के अंत तक यह स्टॉक 80,000-90,000 टन के आसपास होना चाहिए। पराग मिल्क फूड्स के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर राहुल कुमार ने कहा, एसएमपी का ज्यादा स्टॉक जमा होने से डेयरियों के पास पैसा नहीं है क्योंकि उन्होंने पहले ज्यादा दाम पर स्किम्ड मिल्क पाउडर बनाया था। इतना ज्यादा स्टॉक होने की वजह से कंपनियों को दूध खरीदने की कीमतें कम करनी पड़ रही हैं। साथ ही पैकेट वाले दूध की कीमतें भी बढ़ानी पड़ रही हैं, ताकि भविष्य में होने वाले घाटे की भरपाई हो सके।

किसानों को मिलेंगे कम दाम!

विशेषज्ञों ने कहा, स्किम्ड मिल्क पाउडर का ज्यादा स्टॉक होने और निर्यात का कोई रास्ता नहीं होने की वजह से डेयरियां किसानों को दूध की कम कीमतें दे रही हैं। गोदरेज जर्सी के सीईओ भूपेंद्र सूरी ने कहा, एसएमपी का इतना ज्यादा स्टॉक और मानसून के अच्छे रहने की संभावना से दूध उत्पादन बढऩे से किसानों को मिलने वाली कीमतों में और कमी आ सकती है, जो उनके लिए नुकसानदेह होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार एसएमपी के निर्यात पर सब्सिडी देकर स्टॉक कम करने में मदद करे, ताकि किसानों को सही दाम मिल सके।

नॉर्थ-साउथ डिवाइड

प्राइवेट दूध कंपनियों ने पहले ही अपनी कीमतें बढ़ा दी थीं, अब सहकारी संस्थाओं ने कीमतें बढ़ाई हैं। दक्षिण भारत की कुछ डेयरियों ने अपने रिटेल दाम कम कर दिए हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि दूध की कीमतों में विभिन्न कंपनियों के बीच फर्क दूध उत्पादन की लागत के कारण है। डेयरियां या तो सीधे दूध बेचती हैं, या फिर घी, मक्खन जैसे दूध से बनने वाले उत्पादों का निर्माण करती हैं, या फिर बचे हुए दूध को भविष्य में बेचने के लिए स्किम्ड मिल्क पाउडर बना लेती हैं। उत्तर भारत की डेयरियों के पास ज्यादा एसएमपी का स्टॉक है, इसलिए वे दूध की कीमतें बढ़ाकर मिल्क पाउडर बनाने में हुए घाटे की भरपाई कर रही हैं। वहीं, दक्षिण भारत की डेयरियां मिल्क पाउडर बनाने से बचने के लिए दूध की कीमतें कम कर रही हैं।08:26 AM

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