– गूगल मेप की मदद से खेत का नक्शा चुनने के बाद यह अपने आप खेत में स्प्रे करता है।
– दवा अथवा बैटरी खत्म होने की स्थिति में ड्रोन वापस अपनी जगह पर लौट आता है।
– ड्रोन से दवा के छिड़काव से किसानों को खेतों में नहीं जाना पड़ता, जिससे फसलों को नुकसान नहीं पहुंचता और किसान भी दवाओं से होने वाले दुष्प्रभाव से बचता है।
– ड्रोन से होने वाले छिड़काव में दवा का भी कम इस्तेमाल होता है और कम समय में पूरे खेत में एक समान छिड़काव होता है।
– गन्ना, मक्का, अरहर जैसी फसलों एवं धान के खेत जहां पानी भरा होता है, ड्रोन से दवा का छिड़काव उपयोगी साबित होता है।
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– समय पर बीमारियों का पता चलने से किसानों की इनपुट लागत कम होगी और उत्पादन बढ़ सकेगा।– इसके अलावा ड्रोन का इस्तेमाल कीटनाशकों और पोषकतत्वों को छिड़काव भी किसानों की काफी मदद करेगा।
– इससे एक बड़े क्षेत्रफल में महज कुछ घंटों में कीटनाशक या दवाओं का छिड़काव किया जा सकता है।
– समय की बचत होगी और सबसे बड़ा फायदा यह होगा की सही समय पर खेतों में कीट प्रबंधन किया जा सकेगा। बता दें कि, देश के विभिन्न राज्यों में टिड्डियों के हमलों को रोकने के लिए पहली बार ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था।