पश्चिम बंगाल में काला जादू
आज भी पूरे देशभर में ऐसे लोग हैं जो इस विचारधारा के हैं जो की यह मानते है, की हर बंगाली या बंगाल से जुड़ा व्यक्ति काला जादू जनता या करता होगा। पर, इस बात में बिलकुल भी सच्चाई नहीं है, की बंगाल से जुड़ा हर इंसान काला जादू का जानकार हो। बंगाल की संस्कृति में काला जादू एक सम्मान और पवित्र विद्या मानी जाती है, और इसका इस्तेमाल अपने जीवन को सही दिशा में ले जाने के लिए किया जाता है।
बंगाल से जुड़ा हर व्यक्ति गायक नहीं होता
पश्चिम बंगाल अपनी कला के चलते फेमस है बंगाल की संस्कृति में संगीत का काफी महत्वपूर्ण स्थान है, और यहां के लोग संगीत से बहुत प्यार करते हैं। लेकिन ये जरूरी नहीं है कि सभी बंगाली लोग अच्छे गायक हो। हर किसी की अपनी अलग कला और रूचि होती हैं। कुछ लोग संगीत में रुचि ले सकते हैं, और कुछ लोग दूसरी कलाओं में माहिर हो सकते हैं। ये स्टीरियोटाइप को तोड़ना बेहद जरूरी है, और हमें हर किसी की कला और रूचि को सम्मान देना चाहिए।
माँछ (Fish) और रसगुल्ला ही एक मात्र भोजन नहीं
यह माना जाता है की बंगाल से जुड़े लोगो में रसगुल्ला और माँछ (Fish) को काफी पसंद किया जाता है पर यह जरूरी नहीं है की हर कोई इनका शौक़ीन हो। सबको लगता है की बंगाली लोग सिर्फ मछली और रसगुल्ला खाते हैं। लेकिन ये बिल्कुल गलत है! बंगाल की संस्कृति में खाने की एक बहुत बड़ी विविधता है। हां, मछली और रसगुल्ला बंगाल की परंपरा में हैं, लेकिन ये जरूरी नहीं है कि बंगाली लोग सिर्फ यहीं खाते हैं। बंगाल में खाने की बहुत सारी विविधता है, जैसे कि मिष्टी दोई, शुक्तो, भापा इलिश, और भी बहुत कुछ।
रेड और वाइट साड़ी ही नहीं है पहनावा
बंगाल में लाल और सफ़ेद साड़ी को लेकर एक स्टीरियोटाइप है की वहां की हर महिलाओं का पहनावा यही होगा। यह साड़ी बंगाल की परंपरा और सभ्यता को दर्शाती है। पहले, लाल साड़ी को शादी-शुदा महिलाओं के लिए शुभ माना जाता था, और सफेद साड़ी को विधवा महिलाओं के लिए निर्धारित किया गया था। लेकिन आजकल, ये स्टीरियोटाइप टूट गया है। आज, बंगाल की महिलाओं ने अपनी पसंद के हिसाब से सारी पहचान शुरू कर दी है, चाहे वो लाल हो या सफेद।
सिर्फ Udi Baba ही नहीं
बंगाली भाषा को दुनिया की सबसे स्वीट लैंग्वेज में गिना जाता है पर स्टीरियोटाइप के चलते बंगाली लोगों से हमेशा कहाँ जाता है की वह बस उड़ी बाबा प्रयोग करते है। लेकिन ये बिल्कुल गलत है! ये सिर्फ एक फिल्मी पर्सेप्शन है। पश्चिम बंगाल को लेकर बनीं इन स्टीरियोटाइप को तोड़ना जरूरी है, और बंगाल की संस्कृति को एक नए और सही दृष्टिकोण से देखना चाहिए।