लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा स्पीकर किसी भी सांसद को निलंबित कर सकता है। लोकसभा अध्यक्ष संचालन नियमों के नियम 373, 374 और 374ए के अनुसार निर्णय लेता है। वहीं, राज्यसभा में सभापति नियमावली के नियम 255 और 256 के मुताबिक काम करते हैं। दोनों सदनों की प्रक्रिया कुछ हद तक एक जैसी ही है। अगर सभापति को लगता है कि किसी सदस्य घोर अव्यवस्थापूर्ण व्यवहार करता है तो उसको राज्यसभा से चले जाने का निर्देश दिया जाता है। इसी प्रकार नियम 374 के तहत लोकसभा स्पीकर भी किसी सदस्य द्वारा बार-बार सदन की कार्यवाही में बाधा डालने पर सेशन के लिए सस्पेंड कर सकता है।
निलबित सांसदों पर क्या क्या लगती हैं पाबंदियां
– निलंबित सांसद चैंबर, लॉबी और गैलरी में प्रवेश नहीं कर सकते है।
– निलंबन के बाद शेष बचे हुए सत्र के लिए सदन की सेवा में शामिल नहीं हो सकते है।
– सदस्य को निलंबन अवधि के दौरान दैनिक भत्ता नहीं मिलता है।
– सदस्य के निलंबन की अवधि के दौरान दिया गया कोई भी नोटिस स्वीकार्य नहीं किया जाता है।
– सांसद अपने निलंबन की समय अवधि के दौरान होने वाले समितियों के चुनावों में मतदान नहीं कर सकते है।
– ड्यूटी के स्थान पर उनका रहना धारा 2 (डी) के तहत ‘ड्यूटी पर निवास’ के रूप में नहीं माना जा सकता है।
– अगर वह किसी संसदीय समिति के सदस्य है तो वह संसदीय समितियों की बैठकों में हिस्सा नहीं ले सकते।
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कब हुआ था सबसे बड़ा निलंबन
भारत के इतिहास में लोकसभा में सबसे बड़ा निलंबन साल 1989 में हुआ था। उस समय सांसद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को संसद में रखे जाने पर भारी हंगामा कर रहे थे। हंगामा के कारण अध्यक्ष ने 63 सांसदों को निलंबित कर दिया था। जनवरी 2019 में स्पीकर सुमित्रा महाजन ने TDP और AIADMK के 45 सांसदों को सस्पेंड किया था।
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क्या कोर्ट में दी जा सकती है चुनौती सांसद निलंबन के खिलाफ कोर्ट में नहीं जा सकती है। क्योंकि यह न्यायालय के कार्यक्षेत्र में नहीं आता। यह मामला संसद के अनुशासन से संबंधित होता है। राज्यसभा के सभापति की मर्जी पर निलंबन वापस भी हो सकता है। निलंबित सदस्यों के माफी मांगने पर भी इसे वापस लिया जा सकता है।
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निलंबन के बाद विपक्ष सांसद ने की थी मिमिक्री
आपको बता दें कि संसद के शीतकालीन सत्र में जबरदस्त हंगामा हुआ। इसके बाद विपक्ष के 141 सांसदों को हंगामा करने की वजह से निलंबित कर दिया गया। इसके खिलाफ विपक्षी सांसद 19 दिसंबर को संसद भवन के बाहर बैठकर प्रदर्शन कर रहे थे। तभी तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ की नकल उतारकर मिमिक्री की थी।