महिला पहलवानों का आरोप- बृजभूषण ने 3 से 4 बार पेट और छाती को छुआ
दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में भी सरकार द्वारा गठित कमिटी में दिए गए बयानों का जिक्र किया गया है। कमिटी के पैनल की पूछताछ में महिला पहलवानों ने बताया था कि पूर्व चीफ बृजभूषण ने उनके पेट और छाती को 3-4 बार छुआ था। इसके अलावा उनके सांस लेने के पैटर्न को चेक करने के बहाने भी उनको गलत तरीके से टच किया था।
सिंह ने कमेटी को बताया था कि वह खुद पीड़ित हैं। उन्होंने कहा था- मैं खुद सांस के गलत पैटर्न का शिकार रहा हूं। मैं 20 सालों तक इससे पीड़ित रहा जिस कारण से रात को मुझे नींद नहीं आती थी। मेरे बेटे ने सुसाइड कर ली थी तब मैं डिप्रेशन में चला गया था। तब योग ने मुझे सहारा किया। उसी वक्त मुझे बताया गया कि जब तक मेरा सांस लेने का तरीका सही नहीं होगा, यह दिक्कत होती रहेगी।
बृजभूषण का पक्ष जानिए
कुश्ती महासंघ के बृजभूषण शरण सिंह का कहना है कि उन्होंने महिला पहलवानों को गलत ढंग से छुआ ही नहीं था। इसकी बजाय उन्होंने अपनी सांस के पैटर्न का उदाहरण देते हुए समझाया था। सिंह बोले- मैंने खुद अपने ही पेट पर हाथ रखा था और उन्हें दिखाया था कि जब हम सांस अंदर की ओर लेते हैं तो पेट सिकुड़ता है और जब बाहर छोड़ते हैं तो फैलता है।
उस दौरान सभी ने अपनी सांस का पैटर्न चेक किया था। उन्होंने कहा कि जिस महिला पहलवान ने उनके उपर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था, वहीं पहलवान जब उनके पास आई तो उन्होंने कहा था कि कुश्ती की प्रैक्टिस के अलावा उन्हें योग भी करना चाहिए। इससे सबकुछ ठीक रहता है।
सिंह के खिलाफ नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के नहीं मिले सबूत
कुश्ती संघ के पूर्व चीफ बृजभूषण शरण सिंह पर पहलवानों ने एक नाबालिग सहित सात महिला पहलवानों को डराने-धमकाने और यौन शोषण का आरोप लगाया था। काफी लंबे समय तक धरना देने के बाद दिल्ली पुलिस ने सिंह के खिलाफ दो मामले दर्ज किये थे, जिनमें एक मामला पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज किया गया है। बाद में जांच के बाद पुलिस को नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले और शिकायतकर्ता और उसके पिता बयान से भी पलट गए। इसी कारण पुलिस ने कोर्ट से पॉक्सो केस रद्द करने की मांग की थी।
अब तक इस मामले में क्या हुआ
सबसे पहले इसी साल 18 जनवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर पर विनेश फोगाट, साक्षी मलिक के साथ बजरंग पूनिया ने धरना शुरू किया और रेसलिंग फेडरेशन के तत्कालीन चीफ बृजभूषण सिंह पर महिला पहलवानों के यौन शोषण करने का आरोप लगाया।
तीन दिन बाद यानी 21 जनवरी को विवाद बढ़ने के बाद केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने पहलवानों से मुलाकात कर एक कमेटी गठित की, लेकिन कमेटी की रिपोर्ट में क्या पता चला ये सार्वजनिक नहीं हुई।
इसके बाद 23 अप्रैल को बड़ी संख्या में पहलवान फिर जंतर-मंतर पर धरने देने बैठ गए और मांग कि की बृजभूषण की गिरफ्तारी तक धरना जारी रहेगा इसके बाद 28 अप्रैल को पहलवानों की याचिका की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण पर छेड़छाड़ और पॉक्सो एक्ट में 2 FIRदर्ज की।
फिर 3 मई की रात में पहलवानों और पुलिसकर्मियों के बीच जंतर-मंतर पर खूब झड़प हुई। इस झड़प के दो दिन बाद जंतर-मंतर पर हरियाणा, यूपी, राजस्थान और पंजाब की खापों की महापंचायत हुई। इसमें बृजभूषण की गिरफ्तारी के लिए केंद्र सरकार को 15 दिन की चेतवानी दी गई।
उसके बाद 26 मई को पहलवानों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि 28 मई को वे धरना स्थल से नए संसद भवन तक पैदल मार्च करेंगे। फिर 28 मई को पहलवानों ने नए संसद भवन के सामने महापंचायत के लिए जाने की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया।
29 मई को पहलवानों ने जीते हुए मेडल को गंगा में बहाने का ऐलान किया। इसके बाद 30 मई को पहलवान हरिद्वार हर की पौड़ी में मेडल बहाने गए। जहां किसान नेता नरेश टिकैत के मनाने पर पहलवान मान गए और मेडल को नहीं बहाया।
इसके बाद दिल्ली पुलिस की जांच में 3 जून को इस मामले में 4 गवाह मिले हैं, जिन्होंने बृजभूषण पर लगे आरोपों की पुष्टि की है। फिर 4 जून को पहलवानों की गृह मंत्री अमित शाह से मीटिंग की। मीटिंग के बाद 5 जून को विनेश, साक्षी और बजरंग ने रेलवे में ड्यूटी जॉइन कर ली।
इस पूरे घटनाक्रम के दो सप्ताह बाद तीनों मुख्य पहलवानों ने ट्विट करके बताया की अब हम आगे की लड़ाई कोर्ट से लड़ेंगे तथा जबतक बृजभूषण की गिरफ्तारी नहीं होगी हम आवाज उठाते रहेंगे।