दूसरी तरफ, ऑस्ट्रेलियाई संसद की प्रतिनिधि सभा में बुधवार को वह विधेयक पास कर दिया जिसमें 16 साल के कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया मंचों से दूर रखने की जिम्मेदारी संबंधित कंपनियों पर ही डाली गई है। इसमें विफल रहने पर पांच करोड़ ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (274 करोड़ रुपए) तक जुर्माने का प्रावधान है। इसके सीनेट से भी पास होने की उम्मीद है क्योंकि ज्यादातर दलों ने इसका समर्थन किया है। यदि ऑस्ट्रेलिया इस कानून का पालन कराने में सफल हो जाता है तो निश्चित रूप से वह दुनिया के समक्ष नजीर पेश करेगा। अब तक किसी भी देश में ऐसा कोई कानून लागू नहीं हो सका है। सोशल मीडिया मंचों ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार से अनुरोध किया था कि संबंधित विधेयक पर मतदान को कम से कम अगले वर्ष जून तक स्थगित कर दिया जाए। कंपनियों का तर्क था कि जब तक सरकार आयु निर्धारित करने वाली तकनीक की मू्ल्यांकन रिपोर्ट जारी नहीं करती कि इसे कैसे लागू किया जाए, तब तक कानून नहीं बनाया जाए। सरकार ने इस अनुरोध को नहीं माना।
लोकसभा में बोले मंत्री, स्थाई समिति करे विचारः
इधर, भारत में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अश्लील सामग्री पर अंकुश लगाने के लिए मौजूदा कानूनों को और सख्त बनाने की जरूरत है। लोकसभा में सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि संसदीय स्थायी समिति को इस मुद्दे पर विचार करना चाहिए। उन्होंने इस संबंध में और अधिक सख्त कानून बनाने के लिए आम सहमति बनाने का भी आह्वान किया। भाजपा सांसद अरुण गोविल के सवाल का जवाब दे रहे थे। लोकसभा में हंगामे के बीच अरुण गोविल ने सवाल किया कि ‘ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जो दिखाया जा रहा है, वह बहुत अश्लील है। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आने वाले ये कंटेंट परिवार में साथ बैठकर देख नहीं सकते हैं। इससे हमारे नैतिक मूल्यों का ह्रास हुआ है। क्या मंत्री हमें बता सकते हैं कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सेक्स कंटेंट को रोकने के लिए मौजूदा तंत्र क्या है? मौजूदा कानून इन प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग को रोकने के लिए ज्यादा प्रभावी नहीं है। सरकार के पास मौजूदा कानून को और सख्त बनाने का क्या प्रस्ताव है।’
ऑस्ट्रेलिया कानून बनाने के करीबः
-कंपनियों को एक साल का समय – ऑस्ट्रेलिया की प्रतिनिधि सभा में बुधवार को 16 साल के कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखने वाले विधेयक के पक्ष में 102 और विपक्ष में मात्र 13 मत पड़े। – विधेयक के तहत 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के अकाउंट पाए जाने पर इंस्टाग्राम, टिकटॉक, फेसबुक, स्नैपचैट और एक्स सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर पांच करोड़ ऑस्ट्रेलियाई डॉलर तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
– सोशल मीडिया कंपनियों को प्रस्तावित कानून का पालन करने की व्यवस्था बनाने के लिए एक साल का समय दिया जाएगा। उसके बाद ही उन पर आर्थिक दंड लगाया जाएगा।
गोपनीयता रहेगी बरकरारः
-सरकारी दस्तावेजों का इस्तेमाल नहीं होगा – उपयोगकर्ता की उम्र की प्रामाणिकता का पता लगाने के लिए मीडिया कंपनियां सरकारी दस्तावेज का इस्तेमाल नहीं करेंगे। इसके लिए सीनेट में संशोधन विधेयक पेश किया जाएगा। – यानी उपयोगकर्ताओं को पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेंस जैसे सरकारी पहचान प्रदान करने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्हें सरकारी प्रणाली के माध्यम से डिजिटल पहचान को अनिवार्य करने की भी अनुमति नहीं होगी।
जल्दबाजी पर सवालः
-विरोधी बोले, भ्रम पैदा कर रही सरकार – ऑस्ट्रेलियाई संसद में बहस के दौरान कई स्वतंत्र सांसदों ने कहा कि यह कानून जल्दबाजी में बनाया जा रहा है। इसलिए यह अप्रभावी साबित हो सकता है। – एक सांसद ने कहा, इस कानून का असली उद्देश्य सोशल मीडिया को डिजाइन करके सुरक्षित बनाना नहीं है, बल्कि माता-पिता और मतदाताओं के लिए यह भ्रम पैदा करना है कि सरकार कार्रवाई कर रही है।
– एक अन्य सांसद ने कहा, उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता को खतरे में डाल सकता है और माता-पिता के अपने बच्चों की भलाई के लिए निर्णय लेने के अधिकार का अतिक्रमण कर सकता है। – कइयों का मानना है कि यह प्रतिबंध बच्चों को अलग-थलग कर सकता है, उन्हें सोशल मीडिया के सकारात्मक पहलुओं से वंचित कर सकता है, उन्हें डार्क वेब की ओर आकर्षित कर सकता है।