इससे पहले भारत ने 2016 में सेना के उरी बेस कैंप हमले के बाद भी एक सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी। इस स्ट्राइक के साथ ही पूरी दुनिया में भारत का यह ऐलान था कि अब भारत कतई चुप नहीं बैठेगा…घर घुस कर मारेगा। आए जानते हैं इस आपरेशन की कहानी…लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र रामराव निंभोरकर (सेवानिवृत्त) की जुबानी….
18 सितंबर 2019। उरी बेस कैंप पर नींद में सो रह जवानों पर आतंकी हमला हुआ। इसमें भारतीय सेना के 16 जवान शहीद हो गए। मैं कोर कमांडर था। दो लाख सैनिक और 270 किलोमीटर की नियंत्रण मेरा क्षेत्र थी। कमांडो दस्ता भी मेरे पास था। हमले के बाद हमने दस्ते से साफ कहा अगर मौका मिलता है तो यह मत कहना कि हम तैयार नहीं है।
कमांडो तैयारी में जुट गए। 19 सितंबर को कहा दिया कि योजना तैयार करिए। इस सब के बीच एक सवाल मन में चल रहा था कि 2008 मुंबई हमले के बाद भी कहा गया था कि हम नहीं छोड़ेगे। जवाब देंगे। पहले ज्यादा से ज्यादा जवाब यह था क्रिकेट खेलना बंद कर देते थे।
इसी उलझन में 21 सितंबर को तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर का फोन आया और कहा गया कि आप शुरू करिए। हम आश्चर्यचकित थे। पूछा कब करना है तो जवाब मिला कि जल्दी। इसके बाद 28 सितंबर को जो हुआ वह पूरी दुनिया ने देखा। भारत ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को मौत की नींद सुला दिया।
उरी का बदला लेने के लिए तैयारी हो चुकी थी। अमावस की रात सेना के लिए दोस्त होती है लेकिन उस रात आधा चंद्रमा था। आपरेशन के लिहाज से सुबह दो से चार बजे के बीच हमले के लिए सबसे बेहतर था। वही समय चुना गया। भारतीय सेना वास्तविकता में धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखती है। ऐसे में हमने हमले का समय चार बजे से पहले का रखा। ये सभी आतंकी मुसलमान थे और करीब चार बजे इनकी पहले नमाज होती है।
लेफ्टिनेंट जनरल निंभोरकर (सेवानिवृत्त) बताते हैं कि सर्जिकल स्ट्राइक की योजना के बार में पीएम से लेकर मुझ तक कुल 17 लोगों को पता था। मेरे बाद किसी अधिकारी को नहीं पता था कि कब जाना है और कहां करना है।
उरी हमले का जवाब देने के लिए हमें जो उपकरण और हथियार चाहिए थे। वह छह दिन में ही उपलब्ध करा दिए गए। सर्जिकल स्ट्राइक के लिए सबसे बेहतरीन राइफल, नाइट विजन कैमरे और अच्छे रेडियो सेट दिए गए। इस आपरेशन के लिए सबसे ज्यादा जरूरी इच्छाशक्ति भी हमें मिली। हमसे सिर्फ यही कहा गया…विजयी भव:।
सर्जिकल स्ट्राइक में हम तीन बजे अपने लक्ष्य पर पहुंच गए। आतंकियों को बिना आवाज के कैसे मारा जाए यह चुनौती थी। साइलेंसर से भी आवाज होती है। ऐसे में जवानों ने आतंकियों के पास जाकर उनका गला काट दिया। इसके बाद फिर जब गोलीबारी हुई तो 10 मिनट में सब दाग दिया। 12वें मिनट में वापसी शुरू हुई और हम सुबह पांच बजे भारत में थे। थर्मल कैमरा से कैच वीडियो देखा तो पता चला कि 82 आतंकी हमने मार गिराए हैं।